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देशी शब्दकोश
णंकार---पादपूर्ति के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द-णंकार पूरणे देसी
___ भाषातो वा' (सूचू १ पृ १४२) । णंगणिगा-नग्नभाव-'नग्न भावो हि णंगणिगा स्यात्' (सूचू १ पृ १५६)। जंगर-लंगर, जहाज को जल-स्थान में थामने के लिए पानी में डाला जाने
वाला लोहे या पत्थर का साधन (ज्ञाटी प १६५) । णंगल--लांगूल, पूंछ-'गद्दभनंगलेण गाहाविया' (आवहाटी २ पृ १३१)। णंत-वस्त्र-'णंतमिति देशीवचनं वस्त्रवाचकम्' (आवमटी प ८८)। णंतक-कपड़ा (आवचू २ पृ २११)। गंतग–वस्त्र-'उग्गह णंतग पट्टो अड्ढोरुग' (पंक १४८१) । गंतिक्क-१ बुनकर, जुलाहा-'णंतिक्क-रयग-देवड-डोंबिल-पाडहिय रायपहे'
(जीभा ४२५) । २ पशु-विशेष-'अण्णे वि अत्थि संघा, सियालगंतिक्क-ढंकादी' (जीभा २४६७) । ३ वस्त्र छापने वाला, छींपा
(व्यभा १० टी प ६६) । गंतुका-पक्षिणी-विशेष (अंवि पृ ६६) । गंद-१ ईख पेरने का काण्ड । २ कुंडा, पात्र-विशेष (दे ४।४५) । ३ लोहे,
का वृत्त आसन-विशेष (ज्ञाटी प ४७) । गंदण–१ भृत्य, नौकर (दे ४११६) । २ एक प्रकार का सुगन्धित वृक्ष
(कु पृ १४६)। गंदा-गाय (दे ४११८)। णंदिअ-सिंहनाद, सिंह का दहाड़ना (दे ४।१६) । गंदिक्ख-सिंह (दे ४११६) । गंदिणी-गाय (दे ४११८) । गंदिविणद्धण-सिर का आभूषण-विशेष (अंवि पृ १६२) । गंदी-गाय (दे ४।१८)। णंदीविणद्धक-सिर का आभूषण-विशेष (संवि पृ १८३) । णक्क-१ नाक (विपा १२११६२; दे ४१४६) । २ मूक (दे ४१४६) । णक्खच्चण-नखचूंटी, नहरनी (पंक २०२४) । णक्खच्चणि-नहरनी (बृभा २८५३)। णक्खत्तणेमि-विष्णु (दे ४।२२) । णगर-घर-णगरं घरं आश्रयेत्यर्थः' (निचू १ पृ ६६) । गगरग-घर (निभा २८३)।
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