________________
२००
देशी शब्दकोश
झिल्लिरी—मछली पकड़ने का जाल-विशेष (विपा १८।१६) । झिल्ली--१ अनंतकाय वनस्पति-विशेष (प्रज्ञा १४८४२) । २ तरंग । झीण-१ अंग, शरीर । २ कीट (दे ३।६२) । झीम-- मन्द-'झीमीभवंति ति मंदीभवंति इति चूणीं' (बृटी पृ ३८) । झीरा-- लज्जा (दे ३।५७)। झंख-तुणय नामक वाद्य (आवचू १ पृ ३०६; दे ३।५८) । झुझिडित-सेवा करने वाला-'झुझिडिओ णाम उवचरतो' (दश्रुचू प ५०) । झुझिय-१ भूखा (प्र ३।६) । २ मुरझा हुआ (भ १६।४) । झुंझुमुसयमन का दुःख (दे ३१५८) । झुंटण-१ प्रवाह (दे ३।५८) । २ पशु-विशेष । झुपडा-झोंपडी, कुटिया-महु कतहो गुट्ठिअहो कउ झुपडा बलंति'
(प्रा ४।४१६ टी)। झुंबनक--लटकने वाला आभूषण, झूमका (भटी पृ ८७६) । झुझुरायित-जीर्ण-शीर्ण (अंवि पृ १४८) । झुट्ठ-असत्य (दे ३।५८) । झुत्ती-विच्छेद (दे ३।५८) । झुपित--दग्ध, झुलसा हुआ (अंवि पृ १४८) । झुमुझुमुसय—मन का दुःख (दे ३३५८ वृ)। झुरित क्षीण, मुरझाया हुआ (भटी' पृ १२९७) । झुल्लुरी-गुल्म (दे ३।५८) । झुसिय-बुभुक्षित-'आउरे झुसिए पिवासिए' (भ १६॥५२) । झूर-टेढा, कुटिल (दे ३३५६)। झसरिअ-१ अत्यन्त । २ स्वच्छ, निर्मल (दे ३।६२) । झसिय-१ बुभुक्षित-'आउरं झूसियं पिवासियं' (अंत ३१६५) । २ परित्यक्त,
क्षपित (स्थाटी प २२५) । झेंडअ-गेंद, कन्दुक (दे ३।५६) । झेर -पुराना घण्टा (दे ३।५६)। झोंडलिआ-रास के सदृश एक प्रकार की क्रीडा (दे ३॥६०) । झोटी-अप्रसूत अवस्था वाली भैंस (दे ३२५६)। झोड--पत्रविहीन वृक्ष, ठूठ (ज्ञा १।११।२) । झोडण-शाटन, पातन (प्र १।३५) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org