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देशी शब्दकोश छिच्छिक्कार-१ निवारणसूचक या घृणासूचक शब्द, छि:-छिः
(पिनि ४५१) । २ घोड़े की आवाज-छिच्छिक्कार हयाणं"
(जीभा १३७७)। छिडु-१ खुला आकाश । २ वरंडा, खिड़की (निचू १ पृ ८४) । छिण्ण-१ निःस्नेह (ज्ञाटी प १७५) । २ जार-पुरुष (दे ३।२७) । छिण्णंगाल-पक्षी-विशेष (अंवि पृ २३९) । छिण्णच्छोडण-शीघ्र (दे ३।२६) । छिण्णयड-टंक से छेदा हुआ (पा ३६१) । छिण्णा—कुलटा (दे ३१२७ वृ)। छिण्णाल–जार-पुरुष (दे ३।२७) । छिण्णालिंगा-सुवर्ग वाला पक्षी-विशेष (अंवि पृ २२६) । छिण्णाली-कुलटा (दे ३।२७ वृ)। छिण्णोब्भवा-दर्भ, दूर्वा (दे ३२६)। . छित्त-१ छींक (निचू १ पृ ८५) । २ स्पृष्ट (नंदीटि पृ १३४;
दे ३२७)। . छित्तर–१ बांस की खपचियां जिन पर घास आदि छाया जाता है
(भ ८२५७)-'छिवराणि-वंशादिमयानि छादनाधारभूतानि किलिजानि' (टी पृ ६६१) । २ पुराना छाज आदि गृह
उपकरण। छिद्द-१ अवसर-'हत्थिजूहेण समं चरंती छिद्देण आगंतूण थणं देइ'
(आवहाटी २ पृ १२३) । २ लघु मत्स्य (दे ३.२६) । छिधा--पत्र (नंदीटि पृ १३४) । छिन्न-व्यभिचारी, छिनरा (बृभा २३१५)। छिन्नगाली-पक्षी-विशेष की ध्वनि-विगतदारुणेसु छिन्नगालीय रतं । इति.
पक्खिगतरतं ति' (जंवि पृ १८३)। छिन्नाल-तुच्छ जाति का बैल, दुष्ट बैल (उ २७।७) । छिप्प-१ भिक्षा । २ पूंछ (दे ३।३६) । छिप्पंती-१ व्रत-विशेष। २ उत्सव-विशेष (दे ३।३७) । छिप्पंदूर-१ गोमय-खंड, कंडे का टुकड़ा। २ विषम (दे ३।३८)। छिप्पाल-धान्य खाने में आसक्त बैल (दे ३।२८) । छिप्पालुअ--पूंछ (दे ३।२६) ।
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