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देशी शब्दकोश चित्तठिअ-परितोषित, सन्तुष्ट (दे ३।१२) । चित्तदाउ-मधुपटल, मधुमक्खियों का छाता (दे ३।१२)। चित्तपक्ख-चार इन्द्रिय वाला जंतु-विशेष (प्रज्ञा ११५१) । चित्तपत्तय-चार इन्द्रिय वाला जंतु-विशेष (उ ३६।१४८) । चित्तपरिच्छेय-लघु, छोटा (औप ५७)। चित्तपरिच्छोक-लघु, छोटा-'चित्तपरिच्छोको-लघुः' (भटी प ३१८)। चित्तपरिच्छोय-लघु (भटी प ३१८) । चित्तल-१ गोलाकार टुकड़े (दजिचू पृ १९८) । २ हरिण की आकृति वाला
जंगली पशु-विशेष (प्रटी प १०) । ३ विभूषित (दे ३।४)।
४ रमणीय (व) । ५ चित्रविचित्र, चितकबरा (पा १६७) । चित्तविय-प्रोत्साहित किया-'चित्तविया आडत्तिया' (कु पृ ६५) । चित्ताचिल्लडय-जंगली पशु-विशेष (आचूला ११५२)। चित्ताचेल्लरय-जंगली पशु-विशेष (आचूला ११५२ पा)। चित्ति-चिता-'गहियाई कट्ठाई, रइया महाचित्ती, लाइओ जलणो'
(कु पृ १०८)। चिद्दविअ-विनष्ट (दे ३।१३)। चिप्पग-कूटी हुई छाल (बूटी पृ १०२१) । चिप्पिडय-धान्य-विशेष (दश्रुचू प ३८) । चिप्पित-१ नपुंसक-विशेष-'चिप्पितो णाम जस्स जायमेत्तस्सेव अंगुटुपदे
सिणीमज्झियाहि चड्ढिज्जति' (निचू ३ पृ २४६) । २ चिपका
हुआ, आक्रांत-गृद्धा नरा कामेसु चिप्पिता' (सुचू १ पृ९३) । चिप्पियनपुंसक-विशेष, जन्म के समय अंगूठे से मर्दन कर जिसका
अण्डकोष दबा दिया गया हो (बृभा ५१६७) । चिप्पिस---नपुंसक-विशेष-'जातमेत्ताण चेद जेसिं मिलितेहिं चोतिआ ते
चिप्पिसा' (निचू २ पृ ४५२)। चिमिटा-चपटी-पेल्लिया णासिका चिमिटा भविस्सति' (निचू ३ पृ ४०६). चिमिण-रोमश, दाढ़ी आदि न बनाने के कारण जिसके केश लंबे हो गए
हों वह-'चिल्लिरि-डसिया तुह अरिणो चिमिणा' (दे ३।११)। चियत्त-१ सम्मत-चियत्तोवहि-साइज्जणया' (स्था ३।३८२) । २
प्रीतिकर-'चियत्तं पविसे कुलं' (द ५।१।१७)। चियाय-त्याग (स्था १०।१६) । चिरंडिहिल्ल-दही (दे ३।१४ पा) ।
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