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देशी शब्दकोश
कहना ( बृभा ६१०५) । ४ बढ़ा-चढ़ा कर कहना - 'महता चडगरत्तणेण अत्थकधा हणति' ( सूचू १ पृ २३५) । ५ विस्तृत (भटी पृ८५२) ।
चडफडत - छटपटाना - ' चडफडते यत्ति अभीक्ष्णमितस्ततो भ्राम्यतः ' ( बृटी पृ १६६९ ) ।
चडफड - हलचल (आचू पृ ३५७ ) 1
चडवेला - चपेटा (प्रटी प ५७ ) ।
चडाविय - प्रेषित - तिणिवि छिन्नकडए चडावियाणि' (दहाटी प ६६) । चडिय - चढा हुआ, आरूढ (प्रा ४१४४५)। चडिआर - आटोप, आडंबर (दे ३।५) ।
चडुग - पात्र - विशेष (व्यमा ८ टीप २२) । चडुत्तर --- चढ़ना-उतरना ( बूटी पृ ११४५ ) ।
चडुलग - खण्ड-खण्ड किया हुआ - विदुलगचडुलग छिन्ने' ( सूनि ६९) ।
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चडुला - रत्न - तिलक, तिलक के स्थान पर पहना जाने वाला मस्तक का आभूषण - विशेष (दे ३८ वृ) |
चडुलातिलय – स्वर्ण - श्रृंखला में लटकता हुआ
आभूषण - विशेष - 'चडुलातिलयं तिलयम्मि' (दे ३८ ) |
रत्न - तिलक, मस्तक का कंचण संकलियालं बिरयण
चड्डु - १ पिठर के आकार का पात्र ( बुभा १९५१) । २ उद्दंड ॥ ३ बहुभक्षी ( ति ११९३ ) ।
चड्डुग- - काष्ठपात्र - विशेष - 'कट्ठमयवारच डुग' ( निभा ३०६० ) । चड्डय - काष्ठपात्र - ' वारओ चडुयं कव्वयं तं पि कट्टमयं' ( निचू ३ पृ ३४३) ।
चट्ठिया - गुञ्जा (अनुद्वाहाटी पृ ७६ ) |
चणविका - चना, धान्य- विशेष (अंवि पृ २२० ) ।
चणा-बुद्धि, निपुणता, चतुराई- 'दव्वं चणाए सव्वं आकड्ढितं ' ( आवचू १ पृ ५२४) ।
चणोठिया - गुंजा (अनुद्वामटी प १४३ ) ।
चण्णाडीतय - ऊर्ध्व ग्रीवा - 'दव्वण्णतो जो चण्णाडीतएण विणिहालितो जाति' ( अचू पृ १०२ ) ।
चत्त - तकली, सूत कातने का उपकरण (दे ३ । १) |
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