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देशी शब्दकोश चंडिक्कय-अत्यधिक कुपित, भयंकर-'रुट्ठा कुविया चंडिक्किया'
(भ ३।४५)। चंडिज्ज–१ पिशुन, चुगलखोर । २ क्रोध (दे ३।२०) । चंडिल-पीन, पुष्ट (दे ३३)। चंदइल्ल-मयूर (दे ३।५)। चंदट्ठिआ-१ कंधा । २ गुच्छा (दे ३।६) । चंदण-द्वीन्द्रिय जंतु, बेहडा या रुद्राक्ष के पेड़ में होनेवाला जीव
(जीवटी प ३१)। चंदणि-व|गृह, शौचालय (आवहाटी २ पृ १२८)। चंदणिउयय-आचमन का पानी बहने का स्थान (आचूला ११६२) । चंदणिका-१ व|गृह, शौचस्थान (उशाटी प १०६) । २ पुष्प-विशेष
(अंवि पृ २३२)। चंदणिया-१ गंदे पानी की नाली-ताए चंदणियाए छूढो-गृहस्रोतसि
इत्यर्थः' (उसुटी प ३१) । २ वर्चीगृह, शौचालय
(आवहाटी १ पृ २३६) । चंदणी-रोहिणी, चांद की पत्नी-'बंभदत्तो वि गुरुगुणवरधणुकलिओ ति
माणिउं मणइ । रयणवइं रयणिवई चंदो इव चंदणीजोगो'
(उसुटी प १६२)। चंदवडाया-वह स्त्री जिसका आधा शरीर ढंका हुआ हो (दे ३७) । चंदाणिउदय-१ जूठे बर्तन धोने का स्थान-'चंदाणिउदकं जहिं उच्छि?
भायणादि धुव्वति' (आचू पृ ३३८) । २ कुल्ला करने का स्थान-'चंदाणिउदयत्ति आचमनोदकप्रवाहभूमिः'
(आटी प ३४०)। चंवालग-पूजा के लिए ताम्र-पात्र (सू १।४।४४ पा) । चंदिल-नापित, नाई (दे ३।२) । चंदोज्ज-चन्द्र विकासी कमल, कुमुद (दे ३।४) । चंदोज्जय-कुमुद (दे ३।४ वृ)। चंपय -ढक्कन-गोयमा ! नो पदीवे झियाइ,""नो तेल्ले झियाइ, नो दीव
चंपए झियाइ, जोती झियाइ' (भ ८।२५६) । चंपिय-आक्रमण, दबाव (तंदु १४६) । चंभ-१ हल से जोतने योग्य खेत-करिसए एक्केक्कं हलचंभं देह'
(उसुटी प ४५) । २ हल द्वारा विदारित भूमिरेखा (दे ३३१)।
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