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देशी शब्दकोश
१४५ गडगड-चिंघाड, हाथी की आवाज (जीवटी प २४७) । गडयडी-वज्रनिर्घोष, मेघ की गड़गड़ाहट (दे २१८५)। गडु-~-स्तन, कुच (उसुटी प १३२)। गडुअय-काष्ठपात्र-'मत्तो दगवारगो गडुअओ (निचू ३ पृ ३४३) । गडुक-लघु कलश (उपाटी पृ १८७) । गडुल-चावल आदि का धावनजल (प्रसाटी प ४६)। गडल-अलसिया, शिशुनाग-'अलसो त्ति वा गडूलो त्ति वा सुसुणागो त्ति वा
एगळं' (निचू १ पृ ६६) । गड्डु–१ गढा, गर्त (भटी पृ १२५५) । २ शकट, गाड़ी। गडक-गाड़ी (अनुद्वामटी प १४६)। गडुरक-भेड़ (पिटी प २१)। गडरा-भेड़-'उण्ण त्ति लाडाणं गड्डरा भण्णंति' (निचू २ पृ २२३)। गड्डुरिका–१ भेड़ (आटी प २२४) । २ कीट-विशेष (जीवटी प १८७) । गड्डरी- १ बकरी (दे २।८४) । २ भेड़। गडिक-गाड़ी वाला (अंवि पृ ६२) । गड्डिया-गाड़ी (जीचू पृ १७) । गड्डी-गाड़ी, शकट (आचू पृ ३५०; दे २।८१)। गड्ड्य -घड़ा (दजिचू पृ १८१)। गड्ड–१ गढा (भ ३।६५) । २ शय्या (दे २१८१)। गढ–दुर्ग, किला (दे २।८१) । गणणाइआ-चण्डी, पार्वती (दे २।८६)। गणसम-गोष्ठी में लीन (दे २।८६ ) । गणायमह-विवाह-गणक, विवाह का मुहूर्त आदि बताने वाला ज्योतिषी
गणिकाखंसक-कर्माजीवी-विशेष (अंवि पृ १६०)। गणियार-समान शरीर वाले-गणियार त्ति गणिकाकाराः समकाया:
(ज्ञाटी प ७४) । गणेत्तिया-कलई में पहनी जाने वाली रुद्राक्ष की माला-'जन्नोवइय
गणेत्तिय-मुंजमेहलावागलधरे-गणेत्रिका रुद्राक्षकृतं कलाचि
काभरणं' (ज्ञा १११६।१८५ टी प २२७) । गणेत्ती-अक्षमाला (दे २।८१)।
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