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देशी शब्दकोश
खुलग-१ फोड़ा, फफोला (निभा १०५६) । २ गुल्फ (बृभा ४०८७) । खलत्त-वैसा गांव जहां पर्याप्त भिक्षा न मिलती हो अथवा घृत आदि पौष्टिक
द्रव्य न मिलते हों-'खुलत्तणं णाम मंदभिक्खं जत्थ वा घयादि
उवग्गहदव्वं न लब्भति' (निचू ४ पृ ३००) । खुला-- फोड़ा, फफोला (निचू २ पृ ११४)। खलुक-१ कीट-विशेष (अंवि पृ ६३) । २ कर्माजीवी-विशेष
(अंवि पृ १६०)। खुलुह-गुल्फ, टखना (दे २१७५) । खुल्ल-१ छोटा (निचू २ पृ ११५) । २ दो इन्द्रिय वाला जंतु-विशेष
'खुल्ला: लघवः शंखाः सामुद्रशंखाकारः' (जीवटी प ३१)। ३ कुटी
(दे २।७४)। खल्लक-द्वीन्द्रिय जंतु-विशेष (अंवि पृ २३७) । खुल्लय-कौड़ी-विशेष-'अप्पेगइयाणं खुल्लए अवहरइ' (ज्ञा १।१८।८) । खल्लिका-बिल में रहने वाला प्राणी-विशेष (अंवि पृ २२६) । खुल्लिरी-संकत (दे २।७०)। खुवअ--गंडुत् तृण के सदृश कंटकी-तृण (दे २।७५) । खुवग-दोना, पत्तों का पुडवा (व्यभा ४।२ टी प ८४) । खुव्वग-पत्तों का दोना, पुडवा (व्य २।२६)। खुव्वय-दोना, पत्तों का पुडवा (व्यभा ४।२ टी प ८४) । खुसिय-कुरेदा हुआ (निचू ३ पृ ५८७) । खण--१ न्यून, कमी-'किमेत्थ खूणं' (उसुटी प ६०)। २ अपराध-'तहाविहे - खूणे जाए' (उसुटी प १८६) । खेआलू--१ निःसह, अधीर, आलसी (दे २७७) । २ असहनशील-खेआलू
निःसहः । असहन इत्यन्ये' (वृ)। खेआल्य-असहनशील (पा ७०५)। खेड---मिट्टी के प्राकार वाला छोटा गांव (विपा ११११४६) । खेडिय-क्रम, वारी (विभाकोटी पृ ३३१) । खेड़खंड ... आसन-विशेष-'कट्ठच्छगणपीढं वा खेडुखंडं समंथणी' (अंवि पृ १७)। खेड्डु-१ खेल (प्रा २।१७४) । २ शस्त्र-विशेष (कु पृ १५०) । खेडा-क्रीडा (जीभा १७२१)। खेत्ताद—क्षिप्तचित्त (बृभा २७३१)।
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