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देशी शब्दकोश
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'खारो जत्थ तित्तकुंतलया डज्झंति, गावीसु रमंतीसु मसगाई सरीराइ
उवसमणत्थं डझंति' (आचू पृ ३७०)। खारंफिडी-- गोधा, छिपकली (दे २१७३)। खारक --चतुष्पद प्राणी-विशेष (अंवि पृ ६६) । खारय–अर्ध विकसित फूल या कली (दे २।७३) । खारा--भुजपरिसर्पिणी (जीव २।६) । खारापक-राख-'छगणि छारिक्खारापको' (अंवि पृ २५४) । खालक-१ वृक्षवासी प्राणी-विशेष-'तत्थ वुक्खचरा विराला उंदुरा खालका'
(अंवि पृ २२६) । २ छोटा पशु-विशेष (अंवि पृ २२७) । खालग-चतुष्पद जंतु-विशेष (अंवि पृ २३८)। खाह-खांसी-खाहुत्थूभाउ कुणइ जत्तेणं' (बृभा २६२५) । खाहिया–खाई, परिखा (अनुद्वाहाटी पृ ७८) । खिखिणी-१ लघु घंटिका (आवचू १ पृ १८६) । २ शृगाली (दे २७४) । खिखिय-सियार की खि-खि आवाज (उशाटी प १२१)। खिग-उद्दण्ड (जीविप पृ ५२)। खिसणा-तिरस्कार (ओनि ७१५) । खिसा-निष्ठुर और निःस्नेह वचन, निंदा, अवहेलना-णिठ्ठरं णिण्हेहवयणं
खिसा' (निचू ३ पृ ६)। खिक्खिड-गिरगिट (दे २१७४) । खिखिरी-डोम आदि लोगों की चिह्नरूप लाठी जिसे देखकर लोग उनको
___ न छूने का परिज्ञान कर लेते हैं (दे २।७३)। खिच्च-खिचड़ी (दे १११३४)। खिज्जिय-१ रोष (ज्ञा १।६।४१) २ उपालम्भ (दे २१७४) । खित्तय--१ अनर्थ । २ दीप्त, प्रज्वलित (दे २७६)। खिल्ल-फोड़ा-फुसी (तंदु ११६) । खिल्लर-१ तलैया (निचू २ पृ ३०३) । २ चारों ओर गोलाकार पाल
(आवहाटी १ पृ ३७)।। खिल्लूर-छोटी तलाई-'खल्लर-खिल्लूर-छिल्लरशब्दा देश्या एकार्थकाः'
(दअचू पृ ८)। खिवल-(नौका को) खेना, आगे ले जाना-'खिवलं ढोक्कणं णयणं वा'
(आचू पृ ३५७) ।
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