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देशी शब्दकोश
रिसुय--कंद-विशेष (प्रसा २३८) । खरिगा-दासी (निभा ३६६५) । खरिमुही-नपुंसक दासी (व्यभा ६ टी प १७) । खरियत्ता-वेश्या के रूप में-.....रायगिहे नगरे बाहिं खरियत्ताए उववज्जि--
हिति' (भ १५॥१८६) । खरियमुही-नपुंसक दासी (व्यमा ६ टी प १८) । खरिया-१ दासी (बृभा २५१७) । २ वेश्या । खरी- दासी (बृभा ३३७७)। खरुल्ल-१ कठिन । २ स्थपुट, विषमोन्नत (दे २१७८)। खलइअ-खाली, रिक्त (दे २१७१)। खलक-शरीर का अवयव विशेष-'घूरीयाओ त्ति जंघाः खलका वा'
(सूटी प ३२३) । २ खलिहान, धान्य साफ करने का स्थान
(ज्ञाटी प १२६)। ३ पानक (अंवि पृ ६४) । खलखल---चूड़ियों की आवाज (उशाटी प ३०३) । खलखलाविय-क्षुब्ध होना, लड़खड़ाते चलना (आवचू २ पृ १४)। खलखिल-निर्जीव-'खलखिलं निर्जीवमित्यर्थः' (व्यभा ६ टी प ६६) । खलग-मांस सुखाने का स्थान-'खलगं जत्थ मंसं सोसंति' (निभा ३४८१), खलगंडिअ-मत्त (दे २।६७ वृ) ।। खलय-पुंज, राशि, ढेर-मच्छखलए करेंति-मत्स्यपुञ्जान् कुर्वन्ति'
(विपाटी प८१) २ खलिहान-निद्धन्नयं च खलयं, पुप्फेहि विवज्जियं च आराम' (तंदु १६६) । ३ स्थान-'जूयखलयाणि य
पाणागाराणि य' (ज्ञा १।२।११)। खलयारिय-तिरस्कृत-'डिभेहिं मुणिउ ति काऊण खलयारिओ'
(आवहाटी १ पृ १४३) । खलहल-चूड़ियों का आपस के आघात से होने वाला 'खल-खल' शब्द
(उसुटी' प १४१)। खलाविय-नुकसान किया, हानि पहुंचाई (आवचू १ पृ ४६३)। खली-तिल-पिण्डिका, खली, तेल रहित तिलों की सीठी (दे २१६६) । खलुंक-१ अविनीत बैल । (स्थाटी प २४८) ! २ अविनीत शिष्य
(उ २७।१५)। खलंकिज्ज-१ अविनीत बैल संबंधी । २ उत्तराध्ययन सूत्र का सताइसवें
अध्ययन का नाम (उ २७) ।
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