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देशी शब्दकोश
११७ कुप्पासया-केंचुली (कु पृ १७०) । कुप्पिस-कञ्चुक, कांचली (दे २।४० वृ)। कुब्ब-धंसा हुआ, क्षीण-'कुब्बं ति निम्नं क्षाममित्यर्थः' (उपाटी पृ ६७) । कुभिधि-पुष्प-विशेष (अंवि पृ ७०) । कुमार-आश्विन मास, कुंआर का महीना (स्था २।१)। कमारी-गौरी, पार्वती (दे २।३५) । कुमारील—केशमय बहुपदी जन्तु-विशेष (अंवि पृ २२८) । कुमुली-चुल्ली, चुल्हा (दे २।३६) । कुम्मण-म्लान, शुष्क (दे २।४०)। कुम्मरिय-कसाई (ओभा ६०)। कुयवा-वल्ली-विशेष (प्रज्ञा ११४०) । कुरबक-कर्णाभूषण, कुंडल (अंवि पृ ६४) । कुरर-मार्जार नाम का पक्षि-विशेष (उशाटी प ५२१)। कुररी-पशु (दे २।४०)। कराइ-सीमान्तवर्ती राजा-'पच्चंत णिवो कुराया' (निचू २ पृ ४६८) । कुरिण-बड़ा जंगल-'कुरिणमिव पोयाला जे मुक्का पव्वई मेत्ता'
(ओनि ४४६)। कुरिल-कुरल पक्षी (अंवि पृ २३७) । कुरुंडित-जासूस, चर (व्यभा १० टी प ७) । कुरुंडिय-जासूस, चर-'कुरुंडितो नाम उवचरओ' (व्यभा १० टी १८)। कुरुकया—पाद-प्रक्षालन (व्यभा ६ टी प २६) । कुरुकया-पाद-प्रक्षालन, शौचक्रिया (ओनि ३१८)। करकरिअ-कामासक्ति से उत्पन्न उत्कंठा, औत्सुक्य (दे २।४२) । कुरुग-माया (आवहाटी २ पृ १६) । कुरुचिल्ल–१ ग्रहण, उपादान । २ कुलीर, केकड़ा (दे २।४१) । करुच्च-अनिष्ट, अप्रिय (दे २।३६)। करुड-१ निपुण । २ निर्दय (दे २।६३) । कुरुडक-पुष्प-विशेष (अंवि पृ ७०) । करुण--१ राजकीय अथवा अन्य खेत जिस में बीज बो दिए गए हों
(व्यभा ४११ टी प ८) । २ राजा का या दूसरे का धन । कुरुमाण-~म्लान (दे २।४०)।
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