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कक्कस - दध्योदन, करंबा ( दे २।१४ ) |
कक्कसार — दध्योदन, करम्बा ( दे २०१४ ) - ( मयकरिअं लहसि कक्कसारं "
(वृ) ।
कक्कास - पर्व वनस्पति, बांस का एक प्रकार (भ २१।१७ ) ।
देशी शब्दकोश
कक्कड - कृकलास, गिरगिट ( दे २१५) ।
कक्कुस -तुष- 'तुस त्ति कोंटको वत्ति कक्कुसो तप्पणी त्ति वा ' (अंवि पृ १०६ ) ।
कक्खड - पीन, पुष्ट (दे २।११) ।
कक्खडंगी - सखी, सहेली (दे २।१६ ) ।
कक्खल – कठोर, कर्कश - 'कक्खलफासाहिं कमणीहि ' ( निभा ६२६ ) 1 कक्खारुग – फल- विशेष (अंवि पृ ६४) ।
कग्घाड – १ अपामार्ग, चिरचिरा, लटजीरा । २ किलाटी, मावा (दे २।५३) ।
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कग्घायल - किलाटी, दूध का विकार (दे २।२२) । कचक्खी - गोत्र - विशेष (अंवि पृ १५० ) ।
कच्च - कार्य (दे २।२) ।
कच्चग - पात्र - विशेष (व्यभा ८ टी प २२) ।
कच्चाल - प्रवृत्ति या व्यापार का स्थान, कार्यालय (दे २१५२ पा ) ।
कच्चोल -- कलश, पात्र - विशेष (उसुटी प २८० ) ।
कच्छ - गुठली का एक अवयव जो तुष रहित हो (आचू पृ ३४० ) । कच्छभाणिया - साधारण वनस्पति- विशेष ( सू २।३।४३ ) | कच्छभाणी - जलीय वनस्पति- विशेष (प्रज्ञा १२४६ ) |
कच्छभी- -तापस का उपकरण- विशेष - ' हत्थ कय कच्छभीए - कच्छपिका तदुप - करणविशेषः' (ज्ञाटी प २२७ ) ।
कच्छर – पंक, कीचड़ (दे २२) |
कच्छवी - पुस्तक का एक प्रकार जिसके दोनों किनारे छोटे तथा मध्यभाग मोटा हो - 'कच्छवि अंते तणुओ मज्झे पिहुलो मुणेयव्वो' ( प्रसा ६६५) ।
कच्छा— कच्छा, लाट देश में पहना जाने वाला स्त्रियों का परिधान विशेष'लाडाणं कच्छा सा मरहट्ठयाणं भोयडा भण्णति' (निचू १ पृ ५२ ) । कच्छुरिअ - ईर्षित, जिसकी ईर्ष्या की गई हो वह (दे २।१६) | कच्छुरी - कपिकच्छू, केंवाच (प्रज्ञा १|३७|१; दे २।११) ।
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