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________________ देशी शब्दकोश कउह-नित्य (दे २१५)। कंकड़य-चना आदि धान्य जो अग्नि से नहीं पकता, कोरडू-'चणयादीण उवक्खडियाण जे ण सिझंति ते कंकडया' (निचू ३ पृ ४८४) । देखें-उवक्खडाम कंकण-चतुरिन्द्रिय जंतु-विशेष (उ ३६।१४७) । कंकदुय-कोरडू धान, वह धान जो पकाए जाने पर भी नहीं पकता (कु पृ २१०) । कंकिल्लि-अशोक वृक्ष (प्रसा ४४०)। कंकेल्लि -अशोक वृक्ष (औपटी पृ १७; दे २।१२) । कंकोड---१ वनस्पति-विशेष, ककरैल की सब्जी (दे २१७) । २ सांप की एक जाति । कंग-१ धान्य-विशेष-'बृहच्छिरा कंगू' (निचू २ पृ १०६) । २ पीत तण्डुल (प्रसा ६६६)। कंगुलिया-मलमूत्र-'कंगुलिकां-लध्वीं महतीं च नीति विधत्ते' (प्रसा ४३३)। कंचणिका-भाजन-विशेष (अंवि पृ ७२) । कंचणिया-रुद्राक्ष की माला (भ २।३१) । कंचिक्क–नपुंसक-'भेसेति कतो इधेस कंचिक्को' (बृभा ५१८३) । कंची-मुसल के मुख पर रहने वाला लोह-वलय (दे २।१)। कंजुसिणोदेहि-कांजिका-'कंजुसिणोदेहि त्ति इह च लाटदेशेऽवश्रावणं काजिक भण्यते' (बृटी पृ ८७१)। कंटउच्चि-कण्टकप्रोत, कांटों से बींधा हुआ (दे २।१७) । कंटक-बिच्छु की विष-प्रधान पूंछ-'वृश्चिकस्य महाविषलांगूलं कण्टक - उच्यते' (व्यभा ६ टी प ५७) । कंटाली-वनस्पति-विशेष, कण्टकारिका (दे २।४)। कंटासक-फल-विशेष, पनस (?) (अंवि पृ ६४)। कंटिका-करधनी-'जंबूका मेखल त्ति वा कंटिक त्ति व जो बूया' (अंवि पृ ७१)। कंटल्ल-ककरैल, एक प्रकार की सब्जी जो वर्षा में ही होती है (पा ३८२)। कंटेण-पशु-विशेष (अंवि पृ ६२) । कंटोल-ककरैल वनस्पति की सब्जी (दे २१७) । कंठ-१ सूकर, सूअर । २ मर्यादा, सीमा (दे २।५१) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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