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देशी शब्दकोश ओल्ल-१ ओला, हिमपात (जीचू पृ६) । २ पति । ३ राजपुरुष-विशेष । ओल्लणी-- इलायची, दालचीनी आदि मसालों से संस्कारित दही, श्रीखंड
(दे १११५४)। ओल्लरण-सोना, शयन (दे ११६३ वृ) । ओल्लरिअ—सुप्त (दे १११६३) । ओव-हाथी आदि को बांधने के लिए किया गया गर्त (दे १११४६) । ओवइय-तीन इन्द्रियवाला क्षुद्र जन्तु-विशेष (जीव ११८८)। ओवग-गढा-'ओवग कूडे मगरा, जइ घुटे तसे य दुहतो वि'
(बृभा २३६०) ओवग्गिअ-आक्रांत, अभिभूत (पा ५८५) । ओवट्टिअ-खुशामद, चाटुकारिता (दे १११६२) । ओवट्टी-नीवी, स्त्री के कटि-वस्त्र की नाडी (दे १११५१ पा)। ओवट----१ मेघ के पानी का सिंचन, छिड़काव (दे १११५२) । २ वृष्टि,
बारिश (से ६।२५) । ओवड-गढा, गर्त-'ओवड त्ति खड्डातीते पडेज्ज' (निचू ४ पृ ४८) । ओवड़ढी--पहनने के वस्त्र का एक भाग (दे १।१५१)। ओवयण-प्रोङ्खणक (ज्ञा १।१।६०)। ओवर--निकर, समूह (दे १।१५७) । ओवरअ--समूह (दे १।१५७ वृ)। ओवसेर-१ चन्दन । २ मैथुन-योग्य (दे १११७३) । ओवात--आचार्य-निर्देश'-'ओवातो णाम आचार्यनिर्देशः' (सूचू १ पृ२२१) । ओवातिका-. जलचर प्राणी-विशेष (अंवि पृ ६६)। ओवारि--१ धान्य भरने का कोठा । २ भीतरी कमरा (अंवि पृ १६५) ।
ओरी (राजस्थानी)। ओवारिया-..१ भीतरी अपवरक । २ धान्य भरने का कोठा
(व्यभा ७ टी प १०)। ओवास—कान का आभूषण-विशेष-वतंसक ओवास कण्णपीलक कण्णपूरक'
(अंवि पृ १८३)। ओवासण--नापित-कर्म, हजामत (आवचू १ पृ१५६) । ओविय--१ परिकर्मित (ज्ञा १११।२४) । २ सुन्दर (ज्ञा १।११६५) ।
३ प्रकाशित-'ओपितानां-उज्ज्वलितानाम्' (ज्ञाटी प २२६) ।
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