________________
७८
देशी शब्दकोश
ओत्थय–१ पिहित, ढका हुआ-'अत्थरयमिउमसूरगोत्थयं' (दश्रु ८।४२)।
२ अवसन्न, खिन्न (दे १११५१) । ओत्थर-उत्साह (दे १।१५०) । ओत्थरिअ--१ आक्रांत, जिस पर आक्रमण किया हो वह । २ आक्रमण करता
हुआ (दे १।१६६) । ओत्थल्लपत्थल्ला- उथल-पुथल, दोनों पावों से परिवर्तन (दे १।१२२ ब)। ओथकित--अत्यंत जुगुप्सित-धिद्धि त्ति ओथविकत-तालियस्सा'
(बृभा ४११५) । ओदंपिअ--१ आक्रांत । २ नष्ट (दे १११७१) । ओपल्ल-कुण्ठित, अपदीर्ण (ज्ञाटी प १६६)। ओपविका--क्षुद्र जंतु (अंवि पृ २२६)। ओपित-- संस्कारित, परिकर्मित (प्रटी प ७६) । ओपुप्फ-निष्फल, व्यर्थ-'जुण्णं ओपुप्फनिप्फलं' (अंवि पृ ८१)। ओपेसेज्जिक-धान्य पीस कर आजीविका चलाने वाला (अंवि पृ १६०)। ओप्प-चमक-'तूवरिया सुवण्णस्स ओप्पक रणमट्टिया' (दअचू पृ ११०)। ओप्पा--शाण आदि पर मणि आदि रत्नों का घर्षण करना (दै १।१४८) । ओप्पिअ--शाण पर घिसा हुआ (दे १।१४८ वृ) । ओप्पील-समूह (पा १८) । ओप्फिट्ट-अलग होना, पृथक् होना-'ताहे सो (गोसालो) सामिस्स मूलओ
___ ओप्फिट्टो' (आवचू १ पृ २६६) । ओब्भालण--१ सूर्प आदि से धान्य को साफ करना। २ अपूर्व
(दे १११०३ वृ)। ओभंजलिया-चतुरिन्द्रिय जीव-विशेष (प्रज्ञा ११५१) । ओभट्ठ-प्रार्थित, वांछित (ओनि १४७) । ओमंथ-नत, अधोमुख (बृभा ६६५) । ओमंथिय-नमाया हुआ, अधोमुख किया हुआ-'ओमंथियवयणनयणकमला'
(ज्ञा १११।३४)। ओमच्छग- अधोमुख (निचू २ पृ १२७) । ओमत्थ-अधोमुख (अनुद्वाचू पृ ५०)। ओमत्थग- अन्तिम-'चरिमस्स आदिसमयातो आरब्भ ओमत्थगं'
(नंदीचू पृ २५)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org