________________
देशी शब्दकोश
एक्कमक्क --- परस्पर ( प्र ४ | ) |
एक्कयाण – अकेला - " किमंगरायं तुमं हरिणजातीण एक्कयाण परिनिव्विट्ठो'. (व्यभा ४ | ३ टीप ८ ) ।
एक्कल्लग – एकाकी ( अनुद्वाहाटी पृ ३५) ।
एक्कल्लपुडिंग- -- अल्प बिन्दु वाली वृष्टि (दे १।१४७ ) ।
एक्कल्लय- अकेला ( उसुटी प८६ ) | एक्कल्लु - अकेला ( उसुटी प ८० ) । एक्कवई - रथ्या (दे १।१४५ वृ ) ।
एक्कसरय – एक बार (व्यभा ६ टीप २) |
एक्कसराए - १ एक साथ । २ एक बार ( बूटी पृ ४६६ ) । एक्कसरिअं -- १ शीघ्र ( आवचू १ पृ २४९ ) । २ संप्रति, आजकल (प्रा २।२१३) ।
एक्कसाहिल -- एक स्थान में रहने वाला, स्थिरवासी (दे १।१४६ ) एक्कसि - एक बार (व्यभा १० टी प ६० ) ।
एक्कसिंबली -- शाल्मली पुष्पों के साथ नूतन फली (दे १।१४६) । एक्क सिय-- एक बार ( बृचू प २०८ ) |
एक्कार - लोहकार (दे १। १४४ वृ ) ।
एक्कावण्ण- इक्यावन ( निचू ४ पृ ११३) ।
एक्क्कम -- अन्योन्य, परस्पर ( दे १।१४५ ) ।
एगओवत्त- द्वीन्द्रियजन्तु - विशेष ( प्रज्ञा १ (४९) ।
1
एगट्टिया - नौका - एगट्टियाए मग्गण - गवेसणं करेंति' (ज्ञा १।१६।२८२) । एगल्ल- एकाकी ( जीभा २१५ ) ।
एगसरग - एक बार - एगसरगं ति एक्कं वारं दिज्जति' (निचू ४ पृ ३४६ ) । एगायत --अकेला - "एगायताऽणुक्कमणं करेंति' ( सू २।५।४८ ) |
एगाहच्च - एक ही प्रहार से मारना - तं पुरिसं एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियाओ ववरोवेइ' (भ ७।२०२) ।
।
एगुणि--- उन्नीस ( उशाटी प 8 ) एडण - उत्सर्जन - 'तए णं सा नागसिरी " तित्तालाउयस्स बहुसंभार - संभियस्स ने हावगाढस्स एडणट्टयाए' (ज्ञा १ । १६ । १४ ) |
एडावण-उत्सर्जन - 'अंबकूणग - एडावणट्टयाए एगंतमंते संगारं कुब्वंति'
(भ १५।१३४) ।
Jain Education International
७३
******
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org