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देशी शब्दकोश
उक्कारिग - अलग होने का भेद - विशेष, जैसे एरंड के बीज से छिलका अलग होता है ( सूचू १ पृ १३० ) ।
उक्कासिअ -- उत्थित, उठा हुआ (दे १ । ११४) ।
उक्किट्ठि - निन्दा - पाणिए निब्बुड्डो, उक्किट्ठी कया, एवं डंभएहिं लोगो खज्जइति' (आवहाटी १ पृ २७५) ।
उक्कुंड - उन्मत्त (दे १।११) ।
उक्कुट्ट - आनन्द की महाध्वनि - उत्कृष्टिनाद - आनन्दमहाध्वनिरित्यर्थः ' (प्रटी प ४९ ) ।
उक्कुट्ठि - १ खुशी की ध्वनि (ति १३५ ) । २ ऊंचे स्वर से पुकारना - 'उक्कुट्ठी पुकारो' (जीभा १७२२ ) । ३ निंदा - ण य कोलाहलं करे, ण उक्कुट्टिबोलं वा करेज्ज रायसंसारियं वा' ( सू चू १ पृ १८२ ) । उक्कुड निक्कुडिया - बार बार उठ-बैठकर झांकना - 'उक्कुडनिक्कुडियाहि पलोएइ भिक्खा वेला या न वत्ति' (आवमटी प २८ १) । उक्कुडिक – कूडा करकट डालने का स्थान ( अंवि पृ २०६ ) । उक्कुड़निउडिया - बार बार उठ-बैठकर झांकना - 'उक्कुडुनिउडियाहि पलोएति कं वेलं देसकालो भविस्सइ त्ति' (आवचू १ पृ २८६) । उक्कुरुड - १ ईंट, काठ आदि का ढेर ( बृभा २६५३) । २ अकुरडी, घूरा, कचरा डालने का स्थान ( बृभा १९२५; दे १।११० ) । ३ रत्नों की राशि - 'उक्कुरुडी रत्नादीनामपि राशि:' (वृ) ।
उक्कुरुडय - ढेर, कूड़ा डालने का स्थान ( अनुद्वा ३४६ ) | उक्कुरुडिक - घूरा, कूड़ा डालने का स्थान (अवि पृ २०६ ) |
उक्कुरुडिया - कूड़ा डालने की जगह - " एयं तुमं दारगं एगंते उक्कुरुडियाए उझाहि' (विपा १ । १ ६५) ।
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उक्कुरुडी - घूरा, कचरा डालने का स्थान ( दे १ । ११० ) - ( णच्चसि चडिअ उक्कुरुड' (वृ) ।
उक्कुलिणी - गृह - उपकरण, भांड - विशेष (अंवि पृ ७२ ) । उक्केर – १ समूह (ओनि ७०४ ) २ उपहार, भेंट (दे १।९६) ।
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उक्लाविय— उके लाया हुआ, खुलवाया हुआ - 'राइणा उक्केलावियाई चोल्लयाई, निरूवियाई समंतओ' (उसुटी प ६५ ) । उक्केल्ल — उकेलना, एक-एक कर उखाडना ( दजिचू पृ १२४) । उक्कोड - १ राज्यकर ( प्र ३।११) । २ रिश्वत (आचू पृ २३७) ।
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