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________________ यह देशी शब्दकोश चतुर्थ कोश है। यह आगम तथा प्राकृत भाषा के अध्ययन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण और उपयोगी है। इसमें आगमकारों के व्यापक दृष्टिकोण, संग्राही मनोवृत्ति और अर्थाभिव्यक्ति के लिए सक्षम शब्दों के चयन की प्रवृत्ति का निदर्शन मिलता है । मुनि दुलहराजजी ने इस कार्य में अत्यधिक निष्ठापूर्ण श्रम किया है। इस कार्य में साध्वी अशोकश्री, साध्वी विमलप्रज्ञा और साध्वी सिद्धप्रज्ञा तथा समणी कुसुमप्रज्ञा ने पूर्ण योगदान किया है। श्रद्धासिक्त भाव से किया गया यह श्रम दूसरों के लिए अनुसरणीय बनेगा। बृहद् आगम शब्दकोश का विशाल कार्य आचार्यश्री तुलसी के वाचना प्रमुखत्व में हो रहा है । उनके मार्ग-दर्शन में अनेक साधु-साध्वियां इस कार्य में संलग्न हैं। देशी शब्दकोश उसी कार्य का एक अंग है। मैं आचार्यवर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर उनके ऋण से उऋण होने का प्रयत्न नहीं कर रहा हूं। यह प्रयत्न उनसे शक्ति-संबल पाने का प्रयत्न है। प्रस्तुत ग्रन्थ में जिन साधु-साध्वियों का योग है, उन सबको साधुवाद देता हूं और मंगलकामना करता हूं कि उनका श्रम इस कार्य की प्रगति में निरन्तर नियोजित रहे । एक लक्ष्य के लिए समान गति से चलने वालों की सम-प्रवृत्ति में योगदान की परम्परा का उल्लेख व्यवहारपूर्ति मात्र है । वास्तव में यह हम सबका पवित्र कर्तव्य है और उसी का हम सबने पालन किया है। १७ फरवरी १९८८ भिवानी (हरियाणा) —युवाचार्य महाप्रज्ञ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016051
Book TitleDeshi Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages640
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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