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एकार्थक कोश
अइबल-अतिबल । अइबले महब्बले अपरिमियबले ।
(औप ७१) अंग-अवयव ।
अंग दस भाग भेए अवयवाऽसगल चुण्ण खंडे य । देस पएसे पव्वे साह पडल पज्जव खिले य॥ (उनि १५७) अंग त्ति वा दस त्ति वा भाग त्ति वा भेदे त्ति वा अवयवे त्ति वा चूण्णे त्ति वा खंडे त्ति वा देसे पदेसा पव्वे साहा पडला पज्जवे त्ति वा खिले त्ति।
(उचू पृ ६३-६४) अंगुलेयक-अंगूठी। अंगुलेयकं मुद्देयकं वेंटकं ।
(अंवि पृ १६३) अंचेति-झुकाता है। ___ अंचेति त्ति वा णामेति त्ति वा एगळं। (सूचू १ पृ २४०) अंचेति कंपेति णोल्लसति ।
(सूचू १ पृ २४०) अंतर-छिद्र ।
अंतराणि य छिद्दाणि य विरहाणि य । (निर १/६५) अंतरप्प--अंतरात्मा । ___अंतरप्पा चेतो चित्तमित्ति एगळें । (निपीचू पृ ११२) अंताहार--बचाखुचा खाने वाला।
अंताहारा पंताहारा अरसाहारा विरसाहारा लूहाहारा तुच्छाहारा अंतजीवी पंतजीवी।
(सू २/२/६६) १. देखें-परि० २
३. देखें-परि०२ २. देखें-परि० ३
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