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शुद्धाशुद्धि-पत्र
पृ संख्या
अशुद्ध खीणक्कोहे
बा
रइ-अरई अप्पियववहार ऋ-सरजुल कर्म
खीणकोहे वा रइ-अरई अप्पियववहारिय ऋजु-सरल कर्म
५२
सुभगा
सुभगो
मूल एकार्थक अक्कोह अत्तव अधम्मत्थिकाय अप्पियववहार ऋजु कम्म गड्डिक जंबू णिम्मज्जित थिल्ली पंडुर परिग्गह पव्वाविय पासादिय पासादिय पिच्च
१०२
१०२
जीव ३/७०० अंवि थिल्लि पंडुर आयर प्रवाजित अभिरूवे पडिरूवे पिच्चिय कुट्टितो विणओ वातिककर समारंभे सपज्जाय सिद्धार्थ
अवि थिल्ली पडुर आयार प्रवजित अभिरुवे पडिरुवे पिच्च कुट्टित्तो विणआ वार्तिकर सरंमाभे सप्पज्जाय सिद्धार्थ सोह खड्डुगं हायपति
१०३
१०५
१३६
१४४
१४७
पूया व्यक्तिकर संरंभ सप्पज्जाय सिद्धार्थ सोह हत्थखड्डुग हायपति हार
सोहि
१५७ १५८
खडुगं हापयति ह्रियते
हित्यते
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