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परिशिष्ट ३
धातु-अनुक्रम (प्रस्तुत परिशिष्ट में उपसर्ग और धातुबों के बीच का निर्देश + से म करके - चिह्न से किया गया है तथा दीर्घ ऋ के टाईप प्रेस में न होने से ह्रस्व ऋ का प्रयोग किया है । जैसे-तृ, पृ, द, शृ आदि ।)
अंचेति-अञ्चू गती। अंदोलति-आन्दोलण बोलने । अक्कोसति-आ-क्रुशं माह्वानरोदनयोः । अज्झोववज्जइ-अधि-उप-पदिच गती। अट्यते-अट गतो।। अणुपालेइ-अनु-पलण रक्षणे । अणुसंचरइ-अनु-सम्-चर गती। खण्हेते-अशश् भोजने। अतिवाहयन्ति-अति-वहीं प्रापणे । अस्थयति-अर्थणि उपयाचने । अपकडति-अप-कृषं कर्षणे । अन्मुट्ठिज्जइ-अभि-उद्-ष्ठां गतिनिवृत्तौ । अभिगच्छइ-अभि-गम्लगती। अभिप्पायंति-अभि-प्र-आ-इंण्क् गती । अभिलसइ-अभि-लषी कान्ती। अभिसन्दध्यात्-अभि-सम्-दुधांग्क् धारणे दाने च । अभिहणति-अभि-हनंक हिंसागत्योः । अर्थापयति-अर्थणि उपयाचने । बीते-मर्द गतियाचनयोः । अर्यते-ऋप्रापणे। अवतरति-अव-तृ प्लवनतरणयोः । अवमण्णति-अव-मनूयि बोधने । अहिट्ठयति-अधि-ष्ठां गतिनिवृत्ती । अहिधावति-अधि-धावूग् गतिशुद्ध्योः ।
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