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३५० : परिशिष्ट २ .. ७. भूताभिशंकन-प्राणियों के लिए भयावह । पासाण (पाषाण)
'पासाण' शब्द के पर्याय में तेरह शब्दों का उल्लेख है। कुछ शब्द पत्थर के स्पष्ट वाचक हैं। मणि, वज्र आदि शब्द पत्थर के रूपान्तरण हैं । पर्वतक, गिरिक, मेरुक आदि शब्द शिलाखण्ड के वाचक हैं । मरुभूमि की कठोर मिट्टी पत्थर के समान कठोर होती हैं। उसे मरुभूतिक कहा जा सकता है। इस प्रकार सभी शब्द पाषाण के विभिन्न रूपान्तरण
पासादिय (प्रासादीय)
'पासादिय' शब्द के पर्याय के रूप में चार शब्दों का उल्लेख है। ये चारों ही अत्यधिक सुन्दरता को व्यक्त करने वाले विशेषण हैं।' जैसे१. प्रासादीय-मन को प्रसन्न करने वाला। २. दर्शनीय-चक्षु को आनन्द देने वाला। ३. अभिरूप-सदा मनोज्ञ रहने वाला।
४. प्रतिरूप-असाधारण रूप । पिट (पिण्ड)
"पिण्ड' शब्द के एकार्थक में बारह शब्दों का उल्लेख है। यद्यपि ये सभी शब्द प्रतिनियत व भिन्न-भिन्न समूहों के वाचक हैं, लेकिन सामान्य रूप से समूह अर्थ के वाचक होने से इन सभी को एकार्थक माना है
१. पिण्ड-बहुत चीजों को मिलाकर एक पिण्ड बनाना। २. निकाय- भिक्षुओं का समूह ।
३. समूह-मनुष्यों का समुदाय । १. सूटो प १८२ : चत्वारोऽप्यतिशयरमणीयत्वल्यापनार्थमुपात्ताः । २. राजटी है। ३. यद्यपि पिडादयः शब्दाः लोके प्रतिनियत एव संघात विशेष रूढाः, तथापि
सामान्यतो यद् व्युत्पत्तिनिमित्तं संघातत्वमात्रलक्षणं तत् सर्वेषामप्यविशिष्टमिति कृत्वा सामान्यतः सर्वेऽपि पिण्डादयः शब्दा एकाथिका उक्ताः न कश्चिद्दोषः।
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