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नन्दि (नन्दि )
नन्दी और शास्त्र — इन दोनों शब्दों को बृहत्कल्प में एकार्थक माना है' । प्रत्यक्षतः ये दोनों शब्द भिन्न-भिन्न अर्थों के वाचक हैं | नन्दी का अर्थ है - मंगल | शास्त्र अर्थात् ग्रन्थ । ग्रन्थ / शास्त्र मंगलकर होते हैं, अतः इनको एकार्थक माना है । अथवा नन्दी सूत्र में लगभग सभी शास्त्रों का उल्लेख है, इसलिए भी इन दोनों शब्दों को एकार्थक माना जा सकता है ।
नववधू ( नववधू )
नववधू शब्द के पर्याय में तीन शब्दों का उल्लेख है । जिसने प्रसव नहीं किया है अथवा गर्भ धारण नहीं किया है, वह भी नववधू ही है । - नस्समाण ( नश्यत् )
'नस्समाण' शब्द के पर्याय में सात शब्दों का उल्लेख है । लगभग सभी शब्द समवेत रूप में नष्ट होने के अर्थ में प्रयुक्त हैं ।
-- नायय ( ज्ञातक )
देखें - 'मित्त' ।
निगमण (निर्गमन )
'निग्गमण' आदि चारों शब्द गण से बहिर्भूत होने के अर्थ में पर्याय -
वाची हैं । '
निज्जामय (निर्यामक)
परिशिष्ट २ : ३४१
नियमक - नौका चालक ।
कुक्षिधार - नौका के विभिन्न कार्यों में नियुक्त नौकर ।
गब्भेल्लय - नौका में छोटे बड़े कार्य करने वाला । (दे)
इस प्रकार ये सभी शब्द नौका संचालक के वाचक होने से एकार्थक हैं ।
निgिi ( निष्ठितार्थ)
'निट्ठियट्ठ' आदि शब्द सिद्ध अवस्था प्राप्त व्यक्तियों के लिए
१. बुकटी पृ ११ ।
२. व्यभा टीप १२४ ।
३. ज्ञाटी प १४३ ।
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