________________
मनन
मल्ल
मधअग्गि-महन्मय-पवाय
परिशिष्ट १ । २३६ मधअग्गि (वीव) मर्यादा
(वेला) मधु (अरिट्ठ) मर्यादा
(मेरा) -मधुकर (भमर) मर्यादा
(सीमा) मधुर
(पृ ११६) मर्यादाव्यवस्थित (मेधाविन्) (पृ ११६) मल
(पृ ११६) मनस् (चित्त) मल
(कम्म) मनोज्ञ (उदार) मलित
(अतिवत्त) मन्नति (पृ ११६) मलित
(णिम्मंसक) ममत्व
(राग) मलित
(महव्वय) मम्मण
(अलिय) मलियकंटय (ओहयकंटय) मय (गय)
(जल्ल) -मय (विट्ठ) मल्लकमूलक
(करोडक) मयंग
(चंडाल) मल्लगभंड
(अरंजर) मयणिज्ज (पीणणिज्ज) मसूरक
(डिप्फर) मयास (चंडाल) मसृण
(श्लक्ष्ण) मयूर (पृ ११६) महंत
(दोह) मरण (पृ ११६) महंततर
(विच्छिन्नतर) मरण
महंती
(अहिंसा) मरणविमुक्क
(सिद्ध) महंधकार
(तमुक्काय) मरणवेमणंस (पाव) महग्ध
(महत्थ) मरणासा
(लोभ) महग्ध
(परग्घ) मरणासा (मोहणिज्जकम्म)
महतरक
(उच्चयरक) मराल
(खलंक) महत्तरगत्त
(आहेवच्च) मराली (गंडि) महत्थ
(पृ ११६) मराली (तंडी) महद्दि
(परिगरह) मरिसेति
(खमति) महब्बल
(अइबल) मरुभूतिक (पासाण) महब्बल
(ओहबल) मर्यादा (अवधान) महन्भय
(पृ ११६) -मर्यादा (चरण) महब्भय
(असात) मर्यादा (जीत) महब्भय
. (पाव) मर्यादा (धर्म) महन्भय-पवड्डय
(पाव)
(भय)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org