________________
२२२ । परिशिष्ट १
पमासिय-पराजित पभासिय . दीविय) परक्कम
(योग) पभासेइ (ओभासेइ) परक्कम
(वीरिय) पभु (६४) परक्कम
(जोग) पभु
परक्कम
(उढाण) पमत्त
(अलस) परक्कमण्णु (देसकालण्ण) पमदा
(पत्ति) परक्कमितव्व (घडितव्य) पमाण (अग्ग) परग्ध
(पृ.६५) पमाण
परग्घतरक
(उच्चयरक) पमिलायति (पृ ६४) परज्झ
(पृ.६५) पमुक्क
(पम्हद) परिधणम्मि गेहि (अविण्णादाण) पमुच्छित
(पम्हट्ठ) परनिमित्तनिप्फण्ण (लिंगिय) पमुदित
(मुदित) परपरिवाय (अधम्मत्थिकाय) पमोद
(णंदी) परपरिवाय . (माण) पमोद
(मुदिता) परपरिवाय (मोहणिज्जकम्म) पमोय
(अहिंसर) परपरिवायविवेग (धम्मत्थिकाय) (पृ १४) परभव-संकामकारय (पाणवह) (६४) परम
(पृ ६५) पय (दुद्ध) परमसुइभूय
(आयंत) पयंड
(उज्जल) परमसोमणस्सिय (हट्ठचित्त) प्रयत्त (६५) परमाणु
(पृ ६५) पयत्त (ओराल) परमाणु
(अणु) पयत्तकड
(आरंभकड) परमाणुपोग्गल (पोग्गलत्थिकाय) पयत्तवद् (पयत) परमार्थ
(तत्व) पयलाइत
(वेवित) परमासक
(गंडूपक) (६५)
(अवकड्ढित) पयाति
परलाभ
(अविण्णादाण) पयावति (पितामह) परवस
(परज्झ) पर
(अदिण्णादाण) पर
पराजय
(अपमाण) पर
पराजय
(विजय) परंपरगय (सिद्ध) पराजित
(अवकड्ढित)
पम्हठ
पम्हुट्ठ
पयस्
परम्मुह
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org