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केवल-खसिमवन्मका
परिशिष्ट
: १६१
केवल केवलणाण केवलि केवलि केवलिठाण कोंटक कोकणय कोज्जक कोट्टिब कोट्टिम कोट्ठ कोडि कोप
(पृ ५०) (क्षामित)
(कुब्ब) (पृ ५०)
(पृ ५०) (विरल्लिय)
(मुक्त) (क्षिप्त) (कुशल) ( ५०) (अतिवत्त) (फुडित)
(अंग)
कोमल
कोरक कोलाहलभूय कोव कोव कोह
(४६) क्षपणा (केवल) क्षपित (अरह) क्षाम (सिद्ध) क्षामित (अहिंसा) क्षिप्त
(तुस) क्षिप्त (उप्पल) क्षिप्त (पवुम) क्षिप्तचित्त (णावा)
क्षुण्ण (डिप्फर) क्षुद्र (धारणा) खइय (अस्सि ) खंड .
(क्रोध) खंड (तरुणय) खंडणा
(मुकुल) खंडित (हाहाभूय) खंडित्तए
(कोह) . खंत (मोहणिज्जकम्म) खंत
(४६) खंत (अधम्मत्थिकाय) खंति (मोहणिजकम्म) खंध
(खमा) खज्जमाण (धम्मत्थिकाय) खट्टा
(चन्द्रिका) खट्टिक (४६) (एजन) खड्डुग (पृ ५०)
(योग) खण्ड (विहरण)
(पृ ५०) खत्तपक (अनगार) खत्तियधम्मक
कोह
कोह निग्गह कोहविवेग कौमुदी क्रमति क्रिया । "क्रिया
(विराहणा)
(पृ ५०) (चालितए)
(पृ ५०) (भिक्खु) (समण) (अहिंसा)
(गण) (नस्समाण)
(सेज्जा ) (सौकरिक)
(हत्थिक) (हत्थखड्डुक)
(रयणी)
(छेद)
(राहु) (काहापण) (गंडूपक)
खडुग
खणता
क्रिया
खतय
क्रीडन क्रोध
क्षपण
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