________________
कायगुत्ति-कुंडल
कायगुत्ति कायर कायोत्सर्ग कारंडय
(पृ ४७)
कारग
कारण
कारण
कारण
कारण
कारण कारण
कारण
कारण कारणोवएस कार्पटिक
परिशिष्ट १ : १८६ (धम्मत्थिकाय) कितिकम्म
(वंदणग) (कोव) कित्तइस्सामि
(पृ ४७) (व्युत्सर्ग) कित्तण (मयूर) कित्ति
(पृ ४७) (कारण) कित्ति
(अहिंसा) (४७) कितित
(वणित) (स्थान) किब्बिस
(अलिय) (नियाण) किब्बिस
(माया) (निमित्त) किब्बिसिय (मोहणिज्जकम्म) (अत्थ) किरियंति (उत्पादयंति) (लिंग) किरीट
(तिरीड) (कज्ज) किलंत
(दुब्बल) (हेउ) किलामिज्जमाण (आउडिज्जमाण) (हेउगोवएस) किलामेज्ज (अमिहणेज्ज) (धूर्त) किलिट्ठ
(कलुस) (४७) किलिम
(णपुंसक) (अद्धा) किलेस
(कम्म) (कण्ह) किस्विस
(पृ ४७) (गुरुक) किस
(कस) (पृ ४७) किस
(सुक्क) (सक्कार) किसिण
(कण्ह) (दास) किस्सते (रहस्स) कीडंति
(रमंति) (रमंति) कीर्ति (पृ ४७) कीलंति
(रमंति) (फासिय) कीव
(पृ ४८) (फासेइ) कुंचि
(४८) (आइक्खामि) कुंजर
(मातंग) (सुक्क) कुंजित
(रुण्ण) (पाण) कुंडग
(अरंजर) (सुबुद्धिक) कुंडल
(पृ ४८)
काल
काल
कालक
कालक
(श्लोक)
काहापण किइकम्म किंकर किंचि किट्टंति किट्टते किट्टिय किट्टेइ किट्रेमि किडिकिडियाभूय किणिय कितबुद्धि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org