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६४ : जिव्हिका-जीवित जिव्हिका-प्रणालिका। जिव्हिका प्रणालापरपर्याया।
(जबूटी प २६१) जीत--मर्यादा।
जीतं मर्यादा व्यवस्था स्थितिः कल्प इति पर्यायाः। (नंदीटी पृ ११) जीव-जीव। जीवो त्ति वा पाणो त्ति वा एगळं ।
(सूचू १ पृ ३१) जीवः सत्वः प्राणी आत्मेत्यादि पर्यायाः । (नकग्रटी पृ २)
जीवा: प्राणिनः शरीरभृत इति पर्यायाः । (नकग्रटी पृ. ११२) जीवण-जीवन ।
जीवनं प्राणधारणं जीवितमिति पर्यायाः। (विभामहेटी २ पृ ३४६) जीवत्थिकाय-जीवास्तिकाय ।
जीवे इ वा, जीवत्थिकाए इ वा, पाणे इ वा, भूए इ वा, सत्ते इ वा, विण्णू इ वा, वेया इ वा, चेया इ वा, जेया इ वा, आया इ वा, रंगणे इ वा, हिंदुए इ वा, पोग्गले इ वा, माणवे इ वा, कत्ता इ वा, विकत्ता इ वा, जए इ वा, जंतू इ वा, जोणी इ वा, सयंभू इ वा, ससरीरी इ वा, अंतरप्पा इ वा । जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते जीवत्थिकायस्स अभिवयणा ।'
(भ २०/१७). जीवा-धनुष्य की डोरी। जीवया प्रत्यञ्चया दवरिकया। .
(सूर्यटी प २२) जीवाभिगम-दशवैकालिक का चौथा अध्ययन ।
जीवा (अभिगम) ऽजीवाभिगमो आयारो चेव धम्मपण्णत्ती । तत्तो चरित्तधम्मो चरणे धम्मे य एगट्ठा।'
(दशनि १४४) जीवित-आयुष्य । जीवितमायुष्कमित्यनर्थान्तरम् ।
(अनुद्वाहाटी पृ ८६) १. देखें-परि० २ २. देखें-परि० २
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