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तीर्थंकर
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आगम विषय कोश-२
तिर्यंच-एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय तथा पशु-पक्षी आदि पंचेन्द्रिय।
द्र जीवनिकाय * तिर्यंच के भेद
द्र श्रीआको१तिर्यंच तीर्थंकर-परम अर्हतासम्पन्न, प्रवचन-द्वादशांगी के
अर्थोपदेष्टा, धर्मतीर्थ के प्रवर्तक। १. अर्हत् ऋषभ के कल्याणक नक्षत्र २. अर्हत् अरिष्टनेमि के कल्याणक नक्षत्र
० गण और गणधर ३. पुरुषादानीय पार्श्व के कल्याणक नक्षत्र
० अभिनिष्क्रमण ० केवलज्ञान की उत्पत्ति
० गण और गणधर ४. महावीर के कल्याणक नक्षत्र ५. महावीर का गर्भ में आगमन
० च्यवन-संहरणकाल-ज्ञान
० महावीर का गर्भ-संहरण ६. त्रिशला के स्वप्न और उनका फलित ७. महावीर द्वारा गर्भ में प्रतिज्ञा
|१५. केवलज्ञान की प्राप्ति ___ * समवसरण रचना
द्र समवसरण |१६. महावीर का धर्मोपदेश: जीवनिकाय-निरूपण
० तीर्थंकर कल्याणक, उपदेश, वचनातिशय
* अर्हत् वचन से कल्याण : रोहिणेय दृष्टांत द्र देव |१७. महावीर के गण और गणधर १८. लोहार्य-गौतम द्वारा वीर-भक्ति * वीर-गौतम-सिंह दृष्टांत द्रवैयावृत्त्य
तीर्थंकर भिक्षाटन नहीं करते १९. तीर्थकर के अतिशय अनुधर्मता से मुक्त २०. तीर्थंकरों को भी व्यवहार मान्य : उदायन-प्रव्रज्या २१. एक क्षेत्र में रहने का काल | २२. महावीर के वर्षावास | २३. महावीर का निर्वाण, सर्व आयु, अंतिम देशना २४. निर्वाण रात्रि में घटित घटना प्रसंग
* ऋषभ आदि के अंतकृतभूमि. द्र अंतकृत १. अर्हत् ऋषभ के कल्याणक नक्षत्र
..."उसभेणं अरहा कोसलिए "उत्तरासाढाहिं चुए चइत्ता गब्भंवक्कंते। उत्तरासाढाहिं जाए।उत्तरा-साढाहिं पव्वइए। उत्तरासाढाहिं"केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने। अभीइणा परिनिव्वुए। (दशा ८ परि सू १६०)
कौशलिक अर्हत् ऋषभ के चार कल्याणक-च्यवन, जन्म, दीक्षा और कैवल्यप्राप्ति उत्तराषाढा नक्षत्र में हुए। उनका परिनिर्वाण अभिजित नक्षत्र में हुआ। * ऋषभ आदि चौबीस तीर्थंकर : जीवन परिचय
द्र श्रीआको १ तीर्थंकर २. अर्हत् अरिष्टनेमि के कल्याणक नक्षत्र
...."अरहा अरिट्ठनेमी पंचचित्ते होत्था चित्ताहिं चुए"जाए"पव्वइए"केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने परिनिव्वुए “वासाणं पढमे मासे "सावणसुद्धस्स पंचमी" दारयं पयाया। (दशा ८ परि सू १२६, १२८)
__ अर्हत् अरिष्टनेमि के पांच कल्याणक चित्रा नक्षत्र में हुए-१. च्यवन २. जन्म ३. दीक्षा ४. कैवल्यप्राप्ति ५. परिनिर्वाण। वर्षा ऋतु के प्रथम मास- श्रावण शुक्ला पंचमी को उनका जन्म हुआ।
० नामकरण
० परिवार ८. महावीर का बाल्यकाल
०विवाह ९. माता-पिता कालधर्म को प्राप्त १०. अवधि ज्ञान से अभिनिष्क्रमणकाल-निर्णय ११. तीर्थंकर द्वारा वर्षीदान ___* लोकांतिक देवों द्वारा निवेदन
द्र देव १२. महावीर का अभिनिष्क्रमण
० देवदूष्यधारी महावीर ० केशलुंचन ० सामायिकचारित्र ग्रहण
० मन:पर्यवज्ञान-उत्पत्ति |१३. महावीर का अभिग्रह १४. महावीर की अनुत्तर विहारचर्या __ * कंबल-शबल देव : महावीर उपसर्ग-मुक्त द्र देव
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