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संख्या
६४८
उत्कृष्ट संख्यात...
साढे आठ योजन है । अर्थात् तल से शिखा तक ऊंचाई करने पर १ दाना शलाका पल्य में डाला गया। अंतिम अथवा गहराई १००८३ योजन है।
दाना जिस समुद्र या द्वीप में डाला गया, उसकी लंबाई ___ शलाका पल्य, प्रतिशलाका पल्य और महाशलाका और चौड़ाई जितना दूसरी बार अनवस्थित पल्य बनाया पल्य--ये तीनों लंबाई और चौड़ाई में १ लाख योजन गया । उसे भरा गया, फिर खाली किया गया। पहली तथा गहराई अथवा ऊंचाई में १००८३ योजन है। बार जिस समुद्र या द्वीप में गिराया गया था, उससे आगे ___अनवस्थित कंड को सर्षप के दानों से भरा गया, के द्वीप-समुद्रों में क्रमशः एक-एक दाना डालकर खाली (शिखा सहित) इतना भरा कि उसमें एक दाना भी और किया गया । भरने और खाली करने की प्रक्रिया चलती न समा सके । फिर देवों के द्वारा एक-एक दाना क्रमशः रहती है । दाना डालने की प्रक्रिया भी क्रमशः आगे-आगे द्वीप और समुद्र में डाला गया। पहला दाना जंबूद्वीप में, के द्वीप-समुद्रों में होती है । खाली करने पर अन्तिम दाना दूसरा दाना लवण समुद्र में, तीसरा धातकीखंड जिस-जिस समुद्र या द्वीप में गिराया जाता है, उसी में-इस क्रम से द्वीप और समुद्र में डालकर अनवस्थित प्रमाण का अगली बार अनवस्थित पल्य बनाया जाता है। पल्य को खाली किया गया। एक बार भरकर खाली
अनवस्थित पल्य एक बार खाली करने पर १ दाना अन्तिम द्वीप/समुद्र के परिमाण वाला अनवस्थित पल्य शालाका पल्य में डालने की प्रक्रिया से शलाका पल्य को बनाया जाता है। वह अनवस्थित पल्य और शलाका भरा जाता है। उस (शलाका पल्य) को शिखा सहित पल्य भरे रहते हैं। प्रतिशलाका पल्य खाली करने के बाद पूर्ण भर कर आगे के द्वीप-समुद्रों में दाना डालकर खाली उससे आगे के द्वीप-समुद्रों में शलाका पल्य खाली किया किया जाता है। परिणाम स्वरूप १ दाना तीसरे प्रति- जाता है फिर उसके आगे अनवस्थित पल्य खाली किया शलाका पल्य में डाला जाता है। नया अनवस्थित पल्य जाता है। पुनः अनवस्थित पल्य से शलाका पल्य भरा अन्तिम द्वीप समुद्र के लम्बाई-चौड़ाई के परिमाण वाला जाता है और शलाका पल्य से प्रतिशलाका पल्य भरा बनाकर भरा जाता है। जब शलाका पल्य खाली किया जाता है। जाता है तब अनवस्थित पल्य भरा रहता है। शलाका प्रतिशलाका पल्य को बार-बार भर कर एवं खाली पल्य खाली करने के बाद अनवस्थित पल्य को खाली कर एक-एक दाने से महाशलाका पल्य भरा जाता है। किया जाता है। फिर पूर्व क्रम से पुन: शलाका पल्य को शिखा सहित महाशलाका पल्य भर जाने के बाद उसे भरा जाता है।
भरा हुआ ही रखा जाता है। फिर पूर्व प्रक्रिया के अनूशलाका पल्य के बार-बार भर कर एवं खाली कर सार शलाका पल्य से प्रतिशलाका पल्य भरा जाता है एक-एक दाने से प्रतिशलाका पल्य भरा जाता है। जब और अनवस्थित पल्य से शलाका पल्य भरा जाता है। प्रतिशलाका पल्य शिखा सहित पूर्ण भर जाता है तब उसे अनवस्थित पल्य को खाली करके शलाका पल्य को आगे-आगे के द्वीप-समुद्रों में दाना डालकर खाली किया शिखा सहित भरने वाला अनवस्थित पल्य का जो अंतिम जाता है। परिणाम स्वरूप १ दाना महाशलाका पल्य में दाना था और वह जिस समुद्र या द्वीप में गिराया गया डाला जाता है। प्रतिशलाका पल्य खाली करते समय था उस (द्वीप या समुद्र) की लंबाई और चौड़ाई जितना
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