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परिकर्म
निह्नवों के वादों का स्वरूप
बहुरतवाद - कार्य की पूर्णता होने पर उसे पूर्ण कहना । जीवप्रादेशिकवाद - असंख्यातप्रदेशमय जीव का अन्तिम प्रदेश ही जीव है ।
अव्यक्तवाद कौन साधु ? कौन असाधु ? - निश्चयपूर्वक कुछ भी नहीं कहा जा सकता । सामुच्छेदिकवाद-वस्तु उत्पन्न होते ही सर्वथा विनष्ट हो जाती है ।
द्वैक्रियवाद - एक समय में दो क्रियाओं की अनुभूति होती है ।
त्रैराशिकवाद - जीव, अजीव और नोजीव – ये तीन राशियां हैं ।
अबद्धकवाद - कर्म आत्मा का स्पर्श करते हैं, उससे एकीभूत रहीं होते ।
(विशेष विवरण के लिए देखें - विशेषावश्यकभाष्य, गाथा २२९९-२६१० 1 )
नील लेश्या - अप्रशस्ततर भावधारा तथा उसकी उत्पत्ति में हेतुभूत नील वर्ण वाले पुद्गल । ( द्र. लेश्या ) नैरयिक - नरकभूमियों में उत्पन्न होने वाले जीव । ( द्र. नरक ) नषेधिको कार्य से निवृत्त होकर उपाश्रय में प्रवेश करते समय 'निसीहिया' शब्द का उच्चारण करना । सामाचारी का एक भेद । ( द्र. सामाचारी ) पंडितमरण-संयमी अवस्था में होने वाली मृत्यु ।
(द्र. मरण)
पद्मलेश्या - प्रशस्ततर भावधारा
उत्पत्ति में हेतुभूत पुद्गल ।
तथा उसकी पीतवर्ण वाले ( द्र. लेश्या)
( द्र. पुद्गल )
परमाणु - अविभाज्य पुद्गल । परिकर्म - दृष्टिवाद का एक विभाग । दृष्टिवाद के अन्यान्य प्रकारों को ग्रहण करने की योग्यता संपादित करने वाली विधि का ज्ञापक विभाग |
(द्र दृष्टिवाद )
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परिग्रह – धन-धान्य आदि पदार्थ । मूर्च्छा ।
१. परिग्रह के छह प्रकार २. परिग्रह के नौ प्रकार
३. बाह्य आभ्यंतर परिग्रह ४. द्रव्य भाव परिग्रह
५. परिग्रह अनुप्रेक्षा
६. परिग्रह के परिणाम
*
परिग्रह विरमण
* परिग्रह परिमाण व्रत
परिग्रह के छह प्रकार
१. धान्य
२. रत्न
३. स्थावर
धान्य के प्रकार
१. परिग्रह के छह प्रकार
धणाणि रयण थावर दुपय चउप्पय तहेव कुवियं च । ओहेण छव्विहत्थो एसो धीरेहिं पण्णत्तो ॥ (दनि १५३)
परिग्रह के छह प्रकार
धान्य के चौबीस प्रकार -
१. जौ
२. गेहूं
३. शालि चावल ४. ब्रीहि
५. साठी चावल
६. कोदो
७. अणुक
८. कांगणी
धणाणि चउव्वीसं जव गोधूम सालि वीहि सट्ठीया । कोव अणुया कंगू रालग तिल मुग्ग मासा य ॥ अतसि हिरिमिंथ तिउडग,
९. रालक
निष्फावsलिसिंद रायमासा य । इक्खू आसुरि तुवरी कुलत्थ तह धन्नग कलाया ॥ (दनि १५५, १५६ )
१०. तिल
११. मूंग
१२. उड़द
( ब्र. महाव्रत)
द्र. श्रावक
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४. द्विपद
५. चतुष्पद
६. कुप्य ।
१३. अलसी
१४. काला चना
१५. तिउडग - खेसारी
१६. निष्पाव
१७. मोठ
१८. राजमाष
१९. इक्षु
२०. लोबिया
२१. अरहर
२२. कुलथी
२३. धनिया
२४. मटर ।
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