________________
जीवनिकाय
बादर पर्याप्त पृथ्वी कायिक जीवों के दो भेद हैं मृदु और कठोर । मृदु के सात भेद हैं । मृदु पृथ्वीकाय
किण्हा नीला य रुहिरा य, हालिद्दा सुविकला तहा । पंडुपणगमट्टिया
||
( उ ३६।७२ )
मृदु पृथ्वीका के सात भेद हैं-
कृष्ण, नील, रक्त, पीत, श्वेत, पांडु (भूरी मिट्टी ) और पनक (अतिसूक्ष्म रज ) ।
कठोर पृथ्वीका
पुढवीय सक्करा वालुया य, उवले सिया य लोणसे । अयतं तय सीसग रुप्पसुवण्णे य वइरे य ॥ हरियाले हिंगुलुए, मणोसिला सासगंजणपवाले । अब्भपडलब्भवालय, बायरकाए मणिविहाणा ॥ गोमेज्जए य रुयगे, अंके फलिहे य लोहियक्खे य । मरगयमसारगल्ले, भुयमोयगइंदनीले य ।। चंदण गेरुयहंसगब्भ, पुलए सोगंधिए य बोद्धव्वे | चंदप्पहरु लिए, जलकंते सूरकंते ( उ ३६/७३-७६)
य ॥
कठोर पृथ्वीका के छत्तीस प्रकार हैं१. शुद्ध पृथ्वी २. शर्करा
२०. प्रवाल
३. बालू ४. उपल ५. शिला
६. लवण
७. नौनी मिट्टी ८. लोहा
९. रांगा
१०. तांबा
११. शीशा
१२. चांदी
१३. सोना
१४. वज्र
१५. हरिताल १६. हिंगुल
१७. मैनसिल
१८. सस्यक १९. अंजन
Jain Education International
२१. अभ्रपटल
२२. अभ्रबालुका मणियों के भेद
२३. गोमेदक
२४. रुचक
२५. अंक
२६. स्फटिक और लोहिताक्ष
२७. मरकत एवं मसारगल्ल
२८०
२८. भुजमंचक
२९. इन्द्रनील
३०. चंदन, गेरुक एवं हंसगर्भ
३१. पुलक
३२. सौगंधिक
३३. चन्द्रप्रभ
३४. वैडूर्य
३५. जलकांत और
३६. सूर्यकांत
अचित्त पृथ्वीकाय का उपयोग
एएसिं वण्णओ चेव, गंधओ रसफासओ । संठाणादेसओ वावि, विहाणाई सहस्ससो ॥ ( उ ३६/८३) वर्ण, गंध, रस, स्पर्श और संस्थान की दृष्टि से पृथ्वीकाय के हजारों भेद होते हैं । सचित्त-अचित्त मिश्र पृथ्वी
पुढविक्काओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अचित्तो । सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छ्यववहारिओ चेव ॥ निच्छयओ सच्चित्तो, पुढविमहापव्वयाण बहुमज्झे । अच्चित्तमीसवज्जो सेसो ववहारसच्चित्तो ॥ खीर पंथे कोल्ला इंधणे य मीसो य । सहार अग्गी लोणूस बि हे । ||
वक्कंत जोणिएणं
(ओनि ३३७-३४० ) पृथ्वीकाय के तीन प्रकार हैं- सचित्त, अचित्त और मिश्र । सचित्त के दो प्रकार हैं
१ निश्चय सचित्त - रत्न, शर्करा आदि पृथ्वियों से सम्बन्धित हिमवत आदि महापर्वतों का मध्य भाग निश्चयदृष्टि से सचित्त है ।
२. व्यवहार सचित्त - अचित्त और मिश्र को छोड़कर शेष व्यवहार सचित्त है, जैसे--अरण्य आदि जहां गोबर आदि नहीं है ।
मिश्र पृथ्वी काय -
क्षीरद्रुम - उदुम्बर आदि के नीचे की पृथ्वी ।
• पंथ --- पथ में विकीर्ण सचित्त रजकण ।
·
कट्टोल्ल - हल द्वारा जोती हुई भूमि ।
• ईंधन -- गोबर में पृथ्वीकाय का मिश्रण ।
ये सब मिश्र पृथ्वीकाय हैं ।
अचित्त पृथ्वीकाय
शीत शस्त्र, उष्ण शस्त्र, क्षार, करीष, अग्नि, Sar, ऊष, अम्ल और स्नेह - ये पृथ्वीकाय जीवों के शस्त्र हैं । इनसे उपहत होने पर पृथ्वीकायिक जीव अचित्त हो जाते हैं ।
अचित्त पृथ्वीकाय का उपयोग
अवरद्धिगविसंबंधे लवणेन व सुरभिउवलएणं वा । अच्चित्तस्स उ गहणं पओयणं तेणिमं
वऽन्नं ॥ (पिनि १४ )
लूतास्फोट ( मकड़ीकृत फोड़ा), सर्पदंश आदि के विष
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org