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( ४६२) प्रनिधानराजेन्छः।
पमायट्ठाण
पमायहाण
उवेइ दुक्खोहपरंपराभो। पदुद्दचित्तो य चिणाइ कम्म, जं से पुणो होइ दुहं विवागे ।। ७२ ॥ रसे विरत्तो मणुओ विसोगो, एएण दुक्खोहपरंपरेण । न लिप्पई भवमझ वि संतो, जलेण वा पोक्खरिणीपलासं ॥ ७३ ॥ कायस्स फासं गहणं वयंति, तं रागहेउं तु मणुनमाहु। तं दोसहेउं अमणुनमाहु, समो य जो तेसु स वीयरागो।। ७४॥ फासस्स कार्य गहणं वयंति, कायस्स फासं गहणं वयंति । रागस्स हेउं समणुन्नमाहु, दोसस्स हेउं श्रमणुनमाहु ।। ७५॥ फासेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं, अकालियं पावइ से विणासं । रागाउरे सीयजलायसन्ने, गाहम्गहीए महिसे करने ॥ ७६ ।। जे यावि दोसं समुवेइ तिब्वं, तंसि क्खणे से उ उवेइ दुक्खं । दुइंतदासेण सएण जंतू, न किंचि फासं अवरझई से ॥ ७७ ॥ एगंतरत्ते रुइरंसि फासे, प्रतालिसे से कुणई पोस। दुक्खस्स संपीलमुवेइ बाले, न लिप्पई तेण मुणी विरागो॥ ७८ ।। फासाणुगाऽऽसाऽणुगए य जीवे, चराचरे हिंसइऽणेगरूवे। चित्तेहि ते परितावेइ बाले, पीलेइ अत्तट्ठ गुरू किलिहे ।। ७६ ॥ फासाणुवाएण परिग्गहेग, उप्पायणे रक्खणसन्निभोगे । वए विओगे य कहं सुहं से, संभोगकाले य अतित्तलाभे ? ॥५०॥ फासे अतित्ते य परिग्गहे य, सत्तोसत्तो न उवेइ तुहि । अतुहिदोसेण दुही परस्स, लोभाऽऽविले आययई अदत्तं ॥ ८१॥ तण्हाभिभूयस्स अदत्तहारिणो,
फासे अतित्तस्स परिग्गहे य । मायामुसं वड्डइ लोभदोसा, तत्थावि दुक्खा न विमुच्चई से।। ८२॥ मोसस्स पच्छा य पुरत्थरो य, पभोगकाले य दुही दुरंते । एवं अदत्ताणि समाययंतो, फासे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो ॥८३ ।। फासाणुरत्तस्स नरस्स एवं, कत्तो सुहं होज कयाइ किंचि । तत्योवभोगे वि किलेसदुक्खं, निव्वत्तई जस्स कए ण दुक्खं ॥ ८४ ॥ एमेव फासम्मि गओ पोस, उवेइ दुक्खोहपरंपराओ। पदुरचित्तो य चिणाइ कम्म, जं से पुणो होइ दुहं विवागे || ८५॥ फासे विरत्तो मणुओ विसोगो, एएण दुक्खोहपरंपरेण । न लिप्पई भवमज्झे वि संतो, जलेण वा पोक्खरिणीपलासं ।। ८६ ॥ मणस्स भावं गहणं वयंति, तं रागहेउं तु मणुनमाहु । तं दोसहेउं अमणुन्नमादु, समो य जो तेसु स वीयरागो ॥ ८७ ॥ भावस्स मणं गहणं वयंति, मणस्स भावं गहणं वयंति । रागस्स हेउं समणुममाहु, दोसस्स हेर्ड अमगुनमाहु ॥ ८॥ भावेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं, अकालियं पावइ से विणासं । रागाउरे कामगुणेसु गिद्धे, करेणुमग्गावहिए व्व नागे ॥८६ ।। जे यावि दोसं समुवेइ तिव्वं, तसि क्खणे से उ उवेइ दुक्खं । दुईतदोसेण सएण जंतू , न किंचि भाव अवरज्झई से ॥१०॥ एगतरत्ते रुइरंसि भावे, अतालिसे से कुणई पास । दुक्खस्स संपीलमुवेइ बाले, न लिप्पई तेण मुणी विरागो ॥६१॥ भावाणुगाऽऽसाऽणुगए य जीवे,
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