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वर्तक और वर्त्तिका वटेर के नाम हैं । तित्तिरि, क्रकर और शिखी ये तित्तिरि के पर्यायवाची नाम I (सोढल०नि० मांसवर्ग श्लोक १०४६ पृ० १८३) शिखी (न्) पुं । चित्रक वृक्षे, मेथिकायाम्, विषभेदे, सुनिषण्णशाके, अपामार्गे, शूकशिम्ब्याम् ।
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० १०४१)
पुष्प
शाख
भी होता है ।
विमर्श - तित्तिरि के पर्यायवाची नाम ३ हैं- तित्तिरि, क्रकर और शिखी । तित्तिरि शब्द का वनस्पतिपरक अर्थ नहीं मिलता है इसलिए उसके पर्यायवाची नाम क्रकर और शिखी क्रो ग्रहण कर रहे हैं। क्रकर का अर्थ केर है। शिखी के ६ अर्थ ऊपर दिए गए हैं उनमें मेथिका अर्थ ग्रहण कर रहे हैं।
दीवगमंस
दीवग (दीपक) चित्रक दीपक के पर्यायवाची नाम
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'पुष्य काट
सू०१०/१२०
चित्रके दहनो व्यालः, पाठीनो दारुणोऽग्निकः । । ३३८ । । ज्योतिषको वल्लरी द्वीपी, पाठी पाली कटुः शिखी व्यालकोलोहितांगंश्च, मार्जारो दीपकस्तथा । । ३३६ ।।
शाख
जैन आगम वनस्पति कोश
मज्जारकड
मज्जार (मार्जार) रक्त चित्रक मार्जार के पर्यायवाची नाम
पुष्प
चित्रक, दहन, व्याल, पाठीन, दारुण, अग्निक, ज्योतिष्क, वल्लरी, द्वीपी, पाठी, पाली, कटु, शिखी, व्यालकोल, हितांग, मार्जार और दीपक ये चित्रक के पर्यायवाची नाम हैं । (सोढल०नि० I ३३८. ३३६)
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पत्र
भ०.१५ 19५२
कालो व्यालः कालमूलोऽतिदीप्यो मार्जारोऽग्निदाहकः पावकश्च । चित्राङ्गोऽयं रक्तचित्रो महाङ्गः, स्यद्रुदाह्वश्चित्रकोऽन्यो गुणाढ्यः । । ४६ । ।
काल, व्याल, कालमूल, अतिदीप्य, मार्जार, अग्नि, दाहक, पावक, चित्राङ्ग, रक्तचित्र तथा महाङ्ग ये सब रक्त
( राज० नि०६ / ४६ पृ०१४३)
चित्रक के ग्यारह नाम हैं। चित्रक की उपयोगिता - विषमज्वर में
यकृत, प्लीहा वृद्धि होकर पाण्डु हो गया हो तो इसका सेवन करना चाहिए।
विमर्श -- प्रस्तुत प्रकरण में मज्जारशब्द चोपतिया
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