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जैन आगम : वनस्पति कोश
रासायनिक लोग तूतिया की श्वेतवर्ण की भष्म तैयार करते विवरण-इसका क्षुप दृढ होता है। इसके नीचे हैं जो कि गंधक का तेल छुड़ाने में अत्यन्त प्रभावक है। बड़े-बड़े कन्द होते हैं। पत्र पुष्पित होने के बहुत बाद (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ६ पृ०२६३, २६४) आता है। पत्रफलक १ से ३ फीट चौड़ा, अनेक भागों
में विभक्त, हरेरंग का एवं छत्र की तरह फैला हुआ रहता सूरण
है। पत्रवृन्त २ से ३ फीट लम्बा, दृढ़, कुछ कांटों जैसे सूरण (सूरण) सूरणकंद ।
उभारों से खुरदरा, हरे रंग का तथा हलके रंग के धब्बों
उत्त०३६/६८ विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में सूरणशब्द कंदवर्ग के
से युक्त होता है। यह ऊपर ३ भागों में विभक्त हो जाता अन्तर्गत है। कहीं पर सूरणकंद शब्द का प्रयोग हुआ है
है, जिसमें कटे हुए पत्रक लगे रहते हैं। पुष्पव्यूह पत्रावृत और कहीं पर केवल सूरण शब्द का प्रयोग हुआ है।
अवृन्त काण्डज स्वरूप का तथा हरिताभ बैंगनी रंग का देखें सूरणकंद शब्द।
होता है। पुं० एवं स्त्री० पुष्पव्यूह अलग-अलग होते हैं। फल लाल तथा २ से ३ बीजों से युक्त होता है। कन्द
शीर्ष पर धंसा हुआ, गोलार्ध के सदृश, ८ से १० इंच व्यास सूरणकंद
का तथा हलके भूरे रंग का होता है। सूरणकंद (सूरणकंद) सूरणकंद
इसके अनेक प्रकार वन्य एवं कृषित होते हैं। वन्य भ०७/६६ जीवा०१/७३ प०१/४८/७ के कन्द बहत प्रक्षोभक तथा रक्ताभ श्वेत होते हैं क्योंकि सूरणः कन्द ओलश्च, कन्दलोऽर्शोघ्न इत्यपि। उसमें कॅल्शियम आक्झेलेट के रवे होते हैं। कृषित (प्रायः
सूरन, कन्द, ओल, कन्दल तथा अर्शोघ्न ये सब श्वेत) में खुजली कम होती है। (भाव०नि० शाकवर्ग० पृ०६६३) सूरन के पर्यायवाची नाम हैं। (भाव०नि० पृ०६६३) अन्य भाषाओं में नाम
सुरवल्ली हि०-सूरनकंद, जमीकन्द, जिमिकंद, ओल । बं०-ओल। म०-सुरण। गु०-सूरण। क०-सूरण, सूरवल्ली (सूरवल्ली) सूरजमुखी, सुवर्चला सूर्णगड्ड । तेल-कन्द । ता०-कर्णेकिलंगु । फा०-ओला।
प०१/४०/३ ले०-Amorphophallus campanulatus Blume. सूर्य्यवल्ली।स्त्री। क्षीरकाकोल्याम् (एमीकैफेलस् कम्पॅनुलेटस्) Fam. Araceae (अरेसी)
(वैद्यक शब्द सिन्धुपृ०११४७) सूर्यलता स्त्रिी। आदित्यभक्तायाम्
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ११४७) रविवल्ली।स्त्री। आदित्यभक्तायाम्, ब्राह्मीक्षुपे
(वैद्यकशब्द सिन्धुपृ०८७५) सूर्यवल्ली [स्त्री०।अर्कपुष्पिकावृक्ष दधियार
देशान्तरीयभाषा जिमीकंद
सूर्यलता आदित्य भक्ता। हुर हुर
(शालिग्रामौषध शब्द सागर पृ० २०४) सूर्यवल्ली |स्त्री०-वनस्पति । अर्क पुष्पी।
(आयुर्वेदीय शब्द कोश पृ० १६३६) उत्पत्ति स्थान-यह प्राय: सब प्रान्तों में उत्पन्न
विमर्श-सूर शब्द सूर्य का पर्यायवाची है। होता है। कही इसका रापण करत है, कही आप ही आप निघंटओं में सरवल्ली शब्द नहीं मिला है। सर्यवल्ली और लगता है।
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