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वज्रपुष्पा, सुपुष्पिका, शतप्रसूना, बहला, पुष्पाह्वा, शतपत्रिका, वनपुष्पा, भूरिपुष्पा, सुगन्धा सूक्ष्मपत्रिका, गन्धारिका तथा अतिच्छत्रा ये चौबीस नाम शताह्वा (सौंफ) के हैं।
(राज० नि०४/१० से १२ पृ० ६३)
अन्य भाषाओं में नाम
हि० - सोआ, सोया वनसौंफ । ब० - सुलफा, शुल्फा । म० - वालन्तशोप । गु० -शुवा, शुवानी, भाजी | पं० - सोया । क० - सल्बसिगे । ते० - पुशतकुपिविट्ठलु । लु० - सोम्पा । I मा० - सोवा, सुवा । ता० - शतकुप्पी, विरइ | अं० - Indian dill fruit (इन्डियन डिल फ्रुट) ले० - Anethum Sowa Kurz (अनेथम सोवा) Fam. Umbelli Ferae (अंबेली फेरी) ।
सोय
उत्पत्ति स्थान - भारत के उष्ण और उपउष्ण प्रदेशों में सर्वत्र बोया जाता है।
विवरण - यह हरीतक्यादि वर्ग और गुञ्जनादि कुल का क्षुप १ से ३ फीट तक ऊंचा होता है। जिसके पत्ते सौंफ के पत्तों के समान किन्तु उनसे छोटे और सुगंधित होते हैं। फूल मिश्रित, छत्र में पीले, १.५ इंच व्यास के, प्रायः फल आने पर ३.५ इंच तक बढने वाला । पुष्पवृन्त १ से २ इंच लंबा, कोमल । पुष्प श्लाका १ से ५ इंच लंबी । पंखुडियां ५ पीली । पुंकेसर ५ । तस्तरी २ खंड वाली। बीजाशय २ खंड वाले निम्न भाग में फूलों
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जैन आगम वनस्पति कोश
के भीतर जो बीज लगते हैं वे ही उपयोग में आते हैं। फल सौंफ के बीज के समान किन्तु उनसे बहुत छोटे एवं चपटे होते हैं। उनकी चौड़ाई में दोनों ओर एक पर जैसी बारीक झिल्ली लगी रहती है। स्वाद किंचित् तिक्त एवं तीक्ष्ण और सुगंधित होता है। इसके पौधे की तरकारी बनाई जाती है | फूलने-फलने का समय शीतकाल । (धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ६ पृ० ४०३)
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सयरी
सयरी (शतावरी) शतावर
प० १/३६/२
सयरी (शतावरी शतावर का गाछ ( पाइअसद्द
महणव
शतावरी के पर्यायवाची नाम
शतावरी बहुसुता, भीरुरिन्दीवरी वरी । नारायणी शतपदी, शतवीर्या च पीवरी । ।१८४ ।।
शतावरी, बहुसुता, भीरु, इन्दीवरी, वरी, नारायणी, शतपदी, शतवीर्या, पीवरी ये सब छोटी शतावर के नाम हैं ।
(भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग०) पृ० ३६२ )
अन्य भाषाओं में नाम
हि० - शतावरी, शतावर, शतमूली । बं०- शतमूली, शतावरी । म० - सतावर । पं० - सतावर । ता० - सदावरी, शिमाइ, शदावरी । ते०-सदावरी। मल० - शतावली कश्मी० - सेझना । सि० - तिलोरा, साताबारिप । उर्दू - सतावर फा० - सतावरी । आसामी० - शतमूली । ब्रह्मी० - कनयोमी । म०प्र०सौराष्ट्र- गनवेल, हकुजकंटो, एकलकंटो । राज० - नाहर कांटा। संताली० - केदार नली । अंo - Wild asparagus ( वाइल्ड एस्पेरागस ) । लेo-Aspasagus Racemosus Wild (एस्पेरागस रेसी मोसस विल्ड) Fam. Liliaceae (लिलिएसी) ।
उत्पत्ति स्थान - समग्र भारतवर्ष, भारत के समशीतोष्ण और उष्ण प्रदेश सिलोन में, हिमालय में ४००० फीट की ऊंचाई तक । अफ्रीका के उष्ण प्रदेश. जावा और आष्ट्रेलिया में । हुगली, हवडा २४ परगना के जंगलों के किनारे, बंगाल में, वर्धमान बांकुञ्ज जिलों में,
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