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जैन आगम : वनस्पति कोश
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देखें सज्जाय शब्द।
नाम हैं।
(शा०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ३२७) सज्जाय
अन्य भाषाओं में नाम
हि०-मोइया, अम्बारी, पटसन, पटुवा, सन, सज्जाय (सर्जक) बडा शाल, शाल का भेद
कुद्रुम। बं०-मेस्टापाट । क०-पुडोन। म०-अम्बाड़ी प०१/४७
गु०-भिंडी, अम्बोई। ता०-फलगु। ते०-गोंगुकुरू। सर्जक पुं। पीतशाल |शाल ।
सन्ता०-डरेकुद्रुम । उडि०-कनुरिया । सि०-सज्जाडो। (शालिग्रामौषधशब्दसागर पृ० १६३)
अंo-Indian hemp (इन्उियन हेम्प) Gute (जूट) Deccan सर्जक के पर्यायवाची नाम
hemp (डेक्कन हेम्प) Bimlipatam Gute (विमली पटम्जूट)। सर्जकोऽन्योऽजकर्णः स्याच्छालो मरिचपत्रकः।
(भाव०नि० हरीतक्यादि वर्ग पृ० ८८.८६) सर्जक, अजकर्ण, शाल और मरिचपत्रक ये सब साखू के भेद के संस्कृत नाम हैं।
(भाव०नि० वटादिवर्ग०पृ० ५२०,५२१) अन्य भाषाओं में नाम
हिo-बडा शाल । बं०-कुन्द्रो । म०-सफेद डामर, चन्द्रुस। गु०-धूप। क०-दमर। ते०-तेलदामरमु । ता०-बेलकुनुरिकम। यूना०-संद्रस, सुंदस। ले०Vateria Indica Linn (बेटेरिया इण्डिका) Fam. Dipterocarpaceae (डिप्टेरोकार्पेसी)।
उत्पत्ति स्थान-यह पश्चिम भारत और दक्षिण हिन्दुस्तान के जंगलों में बहुत होता है।
विवरण-इसका वृक्ष बहुत हराभरा और सुहावना दिखाई पड़ता है। पत्ते ४ से १० इंच तक लंबे तथा ३. ५ इंच तक चौड़े, जड़ की ओर गोलाकार और अंडाकार होते हैं। २ से २.५ इंच लंबे गोल होते हैं।
(भाव०नि० वटादिवर्ग पृ० ५२१) विमर्श-भाव प्रकाश निघंटुकार ने सर्जक को शाल का भेद (बडा शाल) माना है। (भाव०नि०पृ० ५२०.५२१)
उत्पत्ति स्थान-प्रायः सब प्रान्तों में इसकी खेती
की जाती है परन्तु पश्चिमी घाट के पूर्व में यह आप ही सण
आप जंगली उत्पन्न होता है। सण (शण, सण) सन भ० २१/१६ प० १/३७/४
विवरण-इसका क्षुप ३ से ६ हाथ तक ऊंचा होता शण के पर्यायवाची नाम
है और इस पर सूक्ष्म कांटेदार रोवें होते हैं। जड़ की शणस्त माल्यपुष्पः स्याद, वामकः कतिक्तकः। भोराने गोलाकार नित करे किनारेत
ओर के पत्ते गोलाकार किंचित कटे किनारेवाले होते हैं निशादनो दीर्घशाख स्त्वक्सारो दीर्घपल्लवः ।।
किन्तु ज्यों-ज्यों पौधे बढ़ते जाते हैं, त्यों-त्यों पत्ते का शण, माल्यपुष्प, वामक, कटुतिक्तक. निशादन, आकार बदलता जाता है। ऊपर के पत्ते ५ से ७ भागों दीर्घशाख, त्वक्सार, दीर्घपल्लव ये शण के पर्यायवाची में विभक्त हो जाते हैं और प्रत्येक भाग दन्तुर होता है।
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