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जैन आगम : वनस्पति कोश
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देखें वासंती शब्द
वालक नाम से यह बीज बिकते हैं।
(भाव०नि० कर्पूरादि वर्ग० पृ० २६३)
वासन्तिया गुल्म वासन्तियागुल्म (वासन्तिकगुल्म) बासंती का गुल्म । वासंती का गुल्म होता है। देखें वासंती शब्द ।
प०२/१०
वासंती वासंती (वासन्ती) वासंती, नेवारी
वासपुड वास पुड (वासपुट) वासक रा० ३० जीवा० ३/२८३ वासः |पुं। वासकवृक्षे। (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ६६५) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-वासक, वसक। नेपाली०-वांसक, असेरू, सिंगनामुक। ले०-Dichroa Febrifuga (Lour), डिक्रोआ फेब्रीफ्यूजा।
उत्पत्ति स्थान-ये क्षुप हिमालय, खासिया पहाड़ी पर और नेपाल में विशेष पाए जाते हैं। विवरण-पाषाणभेदकुल के झाड़ीदार क्षुप की
तेदार क्षुप की छाल फीके पीले रंग की मुलायम व कुछ सुगंधित-पत्र अभिमुख कोमल चमकीले, सूक्ष्म रोमश। पुष्प पीले रंग के छोटे-छोटे होते हैं। जड़ की छाल पपड़ी या कार्क के रूप में कुछ भीनी सुगंध युक्त एवं स्वाद रहित होती
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ५ पृ० १३५)
जीवा० ३/२६६ प० १/३८/२.
पुष्प
SANDEY
है।
RAKAWAR
शाय
SILPERIES
शारव
वासंतिक लया वासंतिक लया (वासन्तिक लता) वासन्ती लता
जीवा० ३/५८४ जं०२/११ विमर्श-वासन्ती का गुल्म होता है पर लता की तरह प्रसरण शील होता है। इसलिए इसे वासन्ती लता भी कहा जाता है।
देखें वासंती शब्द।
वासंतिय लया
पुष्प काट वासंतियलया (वासंतिकलता) वासंतीलता। ओ० ११ ।
वासंती के पर्यायवाची नामदेखें वासंती शब्द
वासंती प्रहसन्ती स्यात्, सुवसन्ती वसन्तजा शोभना शीतसंवासा, सेव्या भ्रमरबान्धवा ।।१२१ ।।
वासंती. प्रहसन्ती. सवसन्ती, वसन्तजा, शोभना, वासंति लया
शीतसंवासा, सेव्या और भ्रमरबान्धवा ये वासन्ती के पर्याय वासंतिलया (वासंतिकलता) वासंतीलता
(धन्व०नि० ५/१२८ पृ० २६०) प०१/३६/१
हैं।
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