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जैन आगम : वनस्पति कोश
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के स्थान पर पुलयइ शब्द है। कन्नड़ भाषा में पुलई शब्द मिला है जो बबूल का वाचक है।
(भाव०नि०वटादिवर्ग पृ०५२६)
के गोल सामान्य स्फोटी फल कहते हैं। बीज बहुत छोटे अंडाकार, दबे हुवे, पीताभ भूरे रंग के तथा स्वाद में अत्यन्त तीते होते हैं। इसके पुष्प दंड पर एक गाढा। पीले रंग का स्राव जमा हुआ पाया जाता है। इसमें एक प्रकार की अप्रियगंध होती है। सूखे हुवे पौधे पर राल की तरह एक पदार्थ लगा रहता है तथा इसका स्वाद उष्ण एवं तीता होता है। इसकी धूल से नाक तथा गले में तंबाकू की तरह प्रक्षोभ होता है। इसकी नली से वंसी बनाई जाती है, जिसे कोंकण में पावा कहते हैं।
(भाव०नि० पृ०३७८)
फणस
फणस (फणस) कटहल,
भ०२२/३ ओ०६जीवा०१/७२: ३/५८३ प०१/३६/१ फणस के पर्यायवाची नाम
पनस: कंटकिफलः, फणसोऽतिबृहत्फलः ।। अपुष्पः फलदश्चैव, स्थूलकण्टफलस्तथा।।
पनस, कंटकिफल, फणस, अतिबृहत्फल, अपुष्प, फलद, स्थूलकण्टफल आदि २४ नाम पनस के पर्यायवाची हैं।
(शा०नि० फलवर्ग०पृ०४४७)
पोदइल पोदइल (पोटगल) नलतृण
देखें पोडइल शब्द ।
भ०२१/१६
A
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पोरग पोरग (पर्व) वांस की गांठ।
- भ०२०/२० प०१/४४/१ पर्व ।क्ली०. वंशग्रन्थौ।
(वैद्यकशब्द सिन्धु पृ०६४४) विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में पोरग शब्द हरितवर्ग में है। पोर शब्द हिन्दी भाषा में बांस की गांठ का वाचक है। बांस की गांठ का शाक होता है इसलिए यहां पोरग शब्द का अर्थ बांस की गांठ ग्रहण किया जा रहा है। पर्व के पर्यायवाची नाम
तस्य ग्रन्थिस्तु परु: पर्व, तथा काण्डसन्धिश्च ।।३६ ।।
उसकी (वंशाकुर) की गांठ के ग्रन्थि, परु, पर्व तथा काण्डसन्धि ये सब नाम हैं।
राज०नि०७/३६ पृ०१६५)
कटहल
पोवलइ पोवलई ( ) प०१/४८/३
विमर्श-उपलब्ध निघंटुओं तथा शब्दकोशों में पोवलइ शब्द नहीं मिला है । भगवती (२३/१) में इस शब्द
अन्य भाषाओं में नाम
हि०-कटहर, कटहल, कठैल । बं०--कांटाल । म०-फणस। गु०-फनस। क०-हलसु। ते०पनसकायि। ताo-पेलाकायि । अंo-Jack Tree (जैक ट्री)। लेo-Artocarpus integrifolia linnr (आर्टोकार्पस् इन्टेग्रिफोलिया)| Fam Moraceae (मोरेसी)।
विमर्श-मराठी और गुजराती भाषा में फणस कहते
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