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जैन आगम : वनस्पति कोश
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है। प्रथम में बीज कांटेदार होते हैं।
(भाव० नि० शाक वर्ग० पृ० ६६८)
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पालक्का पालक्का (पालक्या ) पालक भ०२०/२० प०१/४४/१ पालक्या ।पुं। वास्तूकाकार पालङ्कशाके
(वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ६६३) पलक्या वास्तुकाकारा, छुरिका चीरितच्छदा।।
पलक्या, वास्तुकाकारा, छुरिका, चीरितच्छदा ये सब पालक के संस्कृत नाम हैं।
(भा०नि० शाक वर्ग० पृ०६६८) देखें पालंका शब्द।
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पालियाय कुसुम पालियाय कुसुम (पारिजात कुसुम) फरहद के फूल, पांगारा।
रा०२७ जीवा०३/२८०
विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में पालियायकुसुम शब्द का लाल वर्ण की उपमा के लिए प्रयोग हुआ है। इसका - फूल अत्यन्त लाल वर्ण का होता है। पारिजात के पर्यायवाची नाम
पारिभद्रो निम्बतरु मन्दारः पारिजातकः ।।
पारिभद्र, निम्बतरु, मन्दार और पारिजातक ये सब फरहद के संस्कृत नाम हैं। (भाव०नि० पृ०३३४)
अन्य भाषाओं में नाम-हि०-फरहद, पांगारा। बं०-पाल् ते मादार। म०-पांगारा। गु०-पांडेरवा, पनरवो। क०-होंगर, हलिवाणदमर। ते०-मोदुगो, बरिदेचे? वारिजमु । ता०-कल्याण मुरुक्क । अंo-Coral Tree (कोरल ट्री)। ले०-Erythrina Indicalam (एरिथ्रिना इण्डिकालॅम्) Fam. Leguminosae (लेग्युमिनोसी)।
उत्पत्ति स्थान-यह प्रायः सब प्रान्तों में कहीं न कहीं पाया जाता है। विशेषकर कोंकण और उत्तर कनारा में अधिक मिलता है।
विवरण-इसका वृक्ष मध्यमाकार का, शीघ्रता से बढ़ने वाला तथा समय पाकर नष्ट हो जाने वाला होता है। कोमल डालियों पर सीधे, काले रंग के तीक्ष्ण कांटे रहते हैं। छाल चिकनी तथा हरी, भूरी, हलकी, पीली या श्वेत, खड़ी रेखाओं से युक्त एवं पतली पपड़ियां छूटने पर हरी होती है। पत्ते पलाशपत्र के समान त्रिदल होते हैं। पत्रक ४ से ६ इंच के घेरे में गोलाकार और किंचित्, नुकीले होते हैं। अग्र का पत्रक सबसे बड़ा होता है। पुष्पदंड ४ इंच लम्बा और मंजरी प्रायः ६ इंच लम्बी होती है। फूल अत्यन्त रक्तवर्ण के सुहावने दिखाई पड़ते हैं। पुष्प का बाह्यकोश एक ओर मूल तक फट जाता है और अग्र पर पांच दांत बन जाते हैं। आभ्यन्तर दल पांच होते हैं, जिनमें एक सबसे बड़ा होता है। इनके बीच से लाल पुंकेसरों का गुच्छा निकला रहता है। इनमें गंध नहीं होती। फलियां ६ से १० इंच लंबी, चिपटी, चोंचदार, किंचित् टेढी, ताजी अवस्था में हरी किन्तु बाद में काली हो जाती है। बीज संख्या में ६ से १२, चिकने, भूरे या लाल अंडाकार तथा करीब १ इंच बड़े होते हैं। इसी का एक उपभेद होता है जिसके पुष्प मटमैले श्वेताभ रंग के होते हैं।
(भाव०नि०पृ०३३४, ३३५)
पुष्प
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