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जैन आगम में वर्णित ४५० से अधिक वनस्पतियों की पहचान इस जैन आगम वनस्पति कोश में दी गई है। भगवती और सूर्यप्रज्ञप्ति आगम में विर्णित पशु-पक्षी और जलचर के नामों के साथ ११ मांस परक शब्दों को आयुर्वेद के निघंटुओं में खोजा गया है। संस्कृत की छाया, हिन्दी अर्थ, अनेक प्रादेशिक भाषाओं में उसका रूप, उसका उत्पत्ति स्थान और चित्र सहित विस्तृत वर्णन इस ग्रंथ में उपलब्ध है।
इस शब्द कोश के प्रकाशन से आयुर्वेद एवं यूनानी-तिब्बत आदि देशी चिकित्सा पद्धतियों के लिए अतीव महत्वपूर्ण परन्तु सर्वथा अज्ञात वनस्पति कोष का द्वार खुला है।
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