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जैन आगम : वनस्पति कोश
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पत्ते करतलाकार एवं अनेक भागों में विभक्त होते हैं। पुष्प ता०-अवरि। तेल-निलीचेटु, अविरि। फा-नील. लंबे, पुष्पदंड पर नीले पुष्प आते हैं। मूलयुग्म एवं कन्द नीलज, हिमामजनुन । अ०-नील्ज, वस्मा । अं0-Indiga) सदृश होता है, जिसमें नए वर्ष का कंद १ से १.५ इंच (इण्डीगो) ले०-Indigofera Tinctoria Linn (इन्डीगोफेरा लंबा, २/५ से ३/५ इंच मोटा, अंडाकार, आयताकार टिक्टोरीआ लिन०) Fam Leguminosae (लेग्युमिनोसी)। से लेकर दीर्घवृत्ताकार, कुछ सूत्राकार उपमूलों से युक्त एवं तोड़ने पर कुछ पिष्टमय पीताभ होता है। तथा पहले वर्ष का कंद बहुत सिकड़ा हुआ एवं झुरींदार होता है। इसमें गन्ध नहीं होती और स्वाद में पहले मीठा और फिर कड़वा जान पड़ता है। चबाने से थोड़ी देर बाद चिनचिनाहाट और शून्यता मालूम होती है,जो कुछ समय तक बनी रहती है।
(भाव०नि० पृ० ६३०)
नीम नीम (नीप) कदंब
देखें णीम शब्द।
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भ०२२/३
नीलासोय नीलासोय (नीलाशोक) नवपल्लव वाला कच्चा ।
उत्पत्ति स्थान-पहले इस देश के प्रायः सब प्रान्तों अशोक
में नील रंग के लिए लोग इसकी खेती करते थे। किन्त प० १७/१२४ उत्त० ३४/५ नोट-प्रस्तुत प्रकरण में नीले रंग की उपमा के इस समय कृत्रिम नील रंग के आने से इसकी खेतीपाय. लिए नीलासोय शब्द का प्रयोग हुआ है।
नष्ट ही हो गयी है। अशोक के कच्चे फल का रंग नीला होता है।
विवरण-इसका क्षुप ४ से ६ फीट तक ऊंचा होता
है। शाखाएं पतली, दुर्बल, कोणदार, अल्परोमयुक्त एवं (शा०नि० पुष्पवर्ग पृ० ३८४)
फैली हुई होती है। पत्ते असमपक्षवत् संयुक्त पत्र होते हैं।
पत्रक ३ से ६ जोड़े, शरपंखा के समान अंडाकार या नीली
अंडाकार-लट्वाकार ०.५ से ०.६ इंच लंबे पतले तथा नीली (नीली) नीली, नील प० १/३७/१ कालापन लिये हुए हरे रंग के होते हैं। तोड़ने से इसके नीली के पर्यायवाची नाम- .
पत्ते सीधे टूटते हैं। पुष्प पतली, पत्रकोणज मंजरियों में नीली तु नीलिनी नीला, मेघवर्णा च कुत्सला। हलके नीलाभ गुलाबी रंग के आते हैं। फलियां पतली दूली क्लीतकिका काला, नीलिका नीलपुष्पिका।। एक इंच तक लंबी होती हैं, जिनमें ८ से १२ तक बीज
नीली, नीलिनी, नीला, मेघवर्णा, कुत्सला, दूली, होते हैं। इसकी कई अन्य जातियां होती हैं। क्लीतकिका काला, नीलिका, नीलपुष्पिका ये नाम
(भाव०नि० गूडूच्यादि वर्ग पृ० ४०७) नीलिका के हैं। (शा०नि० गुडूच्यादिवर्ग० पृ० ३०५) अन्य भाषाओं में नाम
नीलुप्पल हि०-नीली, नीलीवृक्ष, लील । म०-गुली, नील। .
नीलुप्पल (नीलोत्पल) नीला उत्पल रा० २६ बं०-नील। मा०-लील। गु०-गली। क०-नीली
देखें णीलुप्पल शब्द।
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