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जैन आगम : वनस्पति कोश
विवरण-इसका क्षुप ३.५ से ४.५ फीट ऊंचा, कांड श्वेत होते हैं। आभ्यन्तर दल मुड़े हुए एवं उनके स्वतंत्र चौपहल एवं अनेक शाखायुक्त होता है। पत्ते नीचे से ऊपर खंड आभ्यन्तर नाल से बड़े होते हैं। पुष्पकाल मार्च विभिन्न प्रकार के दन्तुर या अखंड होते हैं। पुष्प विभिन्न अप्रैल। उस समय वृक्ष का शिखर सफेद चांदनी से ढका रंगों के श्वेत से लेकर गहरे बैंगनी रंग के एवं नलिकाकार मालूम पड़ता है। फल १/१० इंच व्यास के, श्वेत एवं द्वयोष्ठ होते हैं । फली १.५ से २ इंच लंबी, करीब १/२ मृदुरोमावृत होते हैं। छाल रक्ताभ होती है। से १ इंच गोलाई में एवं अनेक बीजों से युक्त होती है।
(माव०नि० पुष्पवर्ग० पृ० ५०५) बीज विभिन्न प्रकार के अनुसार श्वेत, मंदश्वेत, हलके भूरे, निघण्टुओं में वर्णित इस तिलकवृक्ष के बारे में अभी गहरे भूरे या काले रंग के हुआ करते हैं। ये चिपटे तक किसी को पता नहीं था कि यह वृक्ष कैसा होता है? अंडाकार तथा एक इंच की लंबाई में ६ से ८ तथा चौड़ाई तथा इसका लेटिन नाम क्या है? सर्वप्रथम ठाकुर में १० से १२ आते हैं। विभिन्न ऋतुओं में बोने के अनुसार बलवन्तसिंह जी ने अपनी पुस्तक “बिहार की वनस्पतियां इसके भेद हुआ करते हैं।
पृ०६८ में अनेक प्रमाणों के आधार पर तिलक को सिद्ध (भाव०नि० धान्यवर्ग० पृ० ६५२) किया है तथा इसका वैज्ञानिक वर्णन किया है। तिलग
(भाव०नि० पुष्पवर्ग० पृ० ५०५) तिलग (तिलक) तिलकपुष्पवृक्ष, तिलिया
भ० २२/३
तिलय तिलक के पर्यायवाची नाम
तिलय (तिलक) तिलक पुष्पवृक्ष तिलक: पूर्णकः श्रीमान्, क्षुरक छत्रपुष्पकः ।
जीवा० १/७२: ३/५८३ प० १/३६/३ मुखमण्डनको रेची, पुण्ड्रश्चित्रो विशेषकः ।।१४५।। देखें तिलग शब्द।
तिलक, पूर्णक, श्रीमान्, क्षुरक, छत्रपुष्पक, मुखमण्डनक रेची, पुण्ड्र, चित्र और विशेषक ये तिलक के पर्याय हैं।
तुंब (धन्व०नि०५/१४५ पृ० २६६) अन्य भाषाओं में नाम
तुंब (तुम्ब) मीठी तुंबी
प० १/४८/४८ हि०-तिलक, तिलका, तिलिया। संथाल०-हुन्छ। तुम्बः ।अलाव्याम् । (शब्दरत्नावली) ले०-Wendlandia exerta DC. (वेन्ड लैन्डिया एक जटा) देखें कडुइया शब्द । Fam. Rubiaceae (रूबिएसी)। उत्पत्ति स्थान-यह हिमालय के उष्णप्रदेशीय
तुंबसाय शुष्कजंगलों में चेनाब से नेपाल तक ४००० फीट की ऊंचाई तक एवं उड़ीसा, मध्यभारत, कोंकण एवं उत्तरी ।
तुंबसाय (तुम्बशाक) मीठी तुम्बी का शाक डेक्कन में पाया जाता है। यह खुली हुई और छोटी-छोटी
उवा० १/२६ वनस्पतियों से रहित भूमि, जैसे नालों के ढालों पर अधिक तुम्बापुरा अलाव्याम्। (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ५०४) होता है।
विमर्श-तुम्बी दो प्रकार की होती है-मीठीतुम्बी विवरण-इसके वृक्ष सुंदर झुके हए तथा छोटे होते और कडवीतुम्बी। मीठीतुंबी कृषित होती है और कड़वी हैं। पत्ते चर्मवत 35 आयताकार या लटवाकार प्रासवत तुबी वन्य होती है। मीठीतुबी का शाक होता है और लबाग्र तथा ४ से ६४१ से ३.५ इंच बड़े होते हैं। शिराएं कड़वीतुबी का चिकित्सा में उपयोग होता है। प्रस्तुत १०-१० जोडी तथा उपपत्र चौडे प्रायः लटवाकार एवं अग्र प्रकरण में लुबी का शाक है इसलिए यहां मीठीतुंबी का पर टेढ़े होते हैं। पुष्प १/६ इंच व्यास में सगंधित एवं अर्थ ग्रहण किया जा रहा है।
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