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के, मंजरियों में आते हैं। फल ग्रीष्मान्त या वर्षा के प्रारंभ में १/२ से २ इंच तक लंबे, १ से १.५ इंच मोटे, अंडाकार, कच्ची दशा में हरे, कुछ पकने पर लाल, बेंगनी रंग के, तथा परिपक्वावस्था में गाढ़े नील वर्ण के एवं गोललंबी छोटी गुठली से युक्त होते हैं। ये फल खाये जाते हैं तथा औषधि कार्य में भी आते हैं। इसके वृक्ष बागों में लगाए जाते हैं। फल आकार में जितना बड़ा हो उतना ही अधिक गुणकारी होता है।
बड़ी जामुन (राजजम्बू) की कई उपजातियां हैं। उनमें ये प्रसिद्ध हैं - (१) छोटी जामुन (२) भूमि जामुन (३) गुलाब जामुन । जामुन की जितनी जातियां हैं उनमें राजजम्बू ही श्रेष्ठ माना गया है।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ३ पृ० २१19, २१८)
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जंबूरुक्ख
जंबूरुक्ख (जम्बूवृक्ष) जामुन का वृक्ष जं० ७/२१३
देखें जंबू शब्द ।
जंबूवण
जंबूवण ( जम्बूवन) जामुन का वन जं० ७/२१३ देखें जंबू शब्द |
जव (यव) जौ । यव के पर्यायवाची नाम
जव
भ० ६ / १२६ २१ / ६ प० १/४५ / १
यवस्तु मेध्यः सितशूकसंज्ञो दिव्योक्षतः
कंचुकिधान्यराजौ स्यात् । तीक्ष्णशूकस्तुरगप्रियश्च शक्तु र्हयेष्टश्च पवित्रधान्यम् ।।
यव, मेध्य, सितशूक, दिव्य, अक्षत, कंचुकि, धान्यराज, तीक्ष्णशूक, तुरगप्रिय, शक्तु, हयेष्ट, पवित्रधान्य ये सब के पर्यायवाची नाम हैं।
( शा० नि० धान्यवर्ग० पृ० ६०६)
अन्य भाषाओं में नाम
हि० - जव, जो जौ । बं० - जव । म० - जव क०
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जैन आगम : वनस्पति कोश
जवेगोधी । ता०- बालिअरिसि । ते० - यवधान्य | फा० - जव ओ, अतः ईर | अं० - Barley (बारली) । ले० - Hordeum Vulgare Linn (हॉरडीयम् वलगेयर) ।
जव
(जौ)
HOR DEUM VULGARE LINN.
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यव
उत्पत्ति स्थान- इसकी खेती उत्तर भारत में विशेष होती है । उपज का ८० प्रतिशत भाग उत्तर प्रदेश, बिहार तथा उड़ीसा में होता है। पंजाब में १३ प्रतिशत एवं अन्य प्रान्तों में मिलाकर ७ प्रतिशत उपज होती है ।
विवरण- इसका क्षुप वर्षायु तथा २ से ३ फीट ऊंचा होता है। मूल बहुत तथा रेशेदार होते हैं ! पत्ते रेखाकार भालाकार ६ से १२ इंच लंबे तथा १/२ से ५/८ इंच चौड़े एवं मध्यपर्शुक श्वेत रहती है । वाली शूकयुक्त होती है। (भाव० नि० धान्य वर्ग पृ० ६४१)
जवजव
पुष्प कार
पुष्य
जवजव ( यवयव) जई
भ० ६ / १२६ प० १/४५/१ विमर्श - धान्यनामों के साथ जव शब्द के बाद जवजव शब्द है । राजनिघंटु शाल्यादि वर्ग पृ० ५४२ में जव का फारसी भाषा में जवजओ नाम है। भाव प्रकाश
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