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से अधिक नहीं होती। इसे लेटिन में फिनिक्स हुमिलिस कहते हैं। यह शालवनों में पाया जाता है। एक भूखर्जुर भी होता है। जिसके काण्ड भूमि के ऊपर नहीं आते। देहरादून के घास के मैदानों में यह पाया जाता है, इसके फल खाये जाते हैं ।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग० २ पृ० ३३३ )
छीरविरालिया
छीरविरालिया (क्षीरविदारिका) क्षीरविदारी कंद
भ० ७ /६६ जीवा० १/७३
विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में छीर विरालिया शब्दकंद वाची नामों के साथ है। क्षीरविदारी कंद होता है। इसलिए यहां यह अर्थ ग्रहण कर रहे हैं।
डोडा
लता शार
फल काट
है?
बीज
क्षीरविदारिका के पर्यायवाची नाम
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पुष्प
अन्या शुक्ला क्षीरशुक्ला, क्षीरकंदा पयस्विनी । क्षीरवल्लीक्षुकंदेक्षुवल्ली क्षीरविदारिका ।।१५८२ ।। इक्षुपर्णी शुक्लकन्दा:, महाश्वेतेक्षुगन्धिका ।।
जैन आगम वनस्पति कोश
शुक्ला, क्षीरशुक्ला, क्षीरकंदा, पयस्विनी, क्षीरवल्ली, इक्षुकंदा इक्षुवल्ली, इक्षुपर्णी, शुक्लकन्दा, महाश्वेता, इक्षुगन्धिका ये क्षीरविदारिका के पर्याय हैं। (कैयदेव०नि० ओषधिवर्ग पृ० ६३८ )
अन्यभाषाओं में नाम
हि० - बिलाईकंद,
विदारीकंद, भुइकुम्हडा ।
क०
बं०-भुइकुमडा । म०-भुईकोहला । गु० - विदारीकन्द । - नेलकुम्बल । ते० - मत्तपलतिगा, नेल्लगुम्मुडु | मल० - मोतल्कंट | ता० - फल मोदिक । ले० - Ipomoea digitata linn (आइपोमिया डिजिटॅटा लिन० ) ।
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उत्पत्ति स्थान- यह भारतवर्ष के उष्णकटिबंध में विशेषकर आर्द्रप्रदेशों, जैसे बंगाल, आसाम आदि में पाया जाता है।
विवरण - यह लता जाति की वनस्पति झाड़दार और विस्तार में फैलने वाली होती है। पत्ते ३ से ७ इंच के घेरे में हाथ के पंजे के समान ५ से ७ भागों में विभक्त रहते हैं। फूल नलिकाकार, चौथाई इंच गोल, ऊपर का भाग १.५ इंच से २.५ इंच के घेरे में होता है और यह बैंगनी रंग का दिखाई पड़ता है। फल चार छिलके वाले, गोलाकार, छोटे-छोटे होते हैं और वे झूमकों में आते हैं। उनके भीतर एक प्रकार की पर्तदार रूई से ढके हुए त्रिकोणाकार अर्द्धगोल बीज रहते हैं। बीजों के रोपण करने से लता उत्पन्न होती है। इसके नीचे जो कंद बैठता है वह रतालू के आकार का होता है। इसका वजन एक सेर से अधिक नहीं होता। कंद बाहर से भूरे रंग का तथा खुरदरा होता है । काटने पर अंदर से यह श्वेतरंग का दिखाई देता है तथा उसमें से बहुत क्षीर निकलता है। इसकी सुखाई हुई कचरी बहुत हलकी रहती है तथा उसमें मंडल दिखलाई देते हैं। इसका स्वाद पिष्टमय, कुछ कषैला एवं कडुवा सा होता है।
(भाव०नि० गुडूच्यादिवर्ग पृ० ३८६ )
छीरविराली
छीरविराली (क्षीर विदारी) क्षीरवल्ली, घोड बेल, खाखर बेल ।
भ० २३/१प० १/४०/४
विमर्श - प्रस्तुत प्रकरण में यह शब्द वल्लीवर्ग के
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