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चम्मरुक्ख
चम्मरुक्ख (चर्मवृक्ष) भोजपत्र का वृक्ष भ० २२/१ चर्म्मवृक्षः |पु० |भूर्ज्जवृक्षे ।
(सुश्रुत कल्पस्थान ५ अध्याय) (वैद्यक शब्द सिन्धु पृ० ४२२ ) विमर्श - शालिग्राम निघंटु में भोजपत्र वृक्ष के २६ नाम हैं उनमें एक नाम चर्म्मद्रुम है । द्रुम वृक्ष का पर्यायवाची नाम है।
अन्य भाषाओं में नाम
ब०
हि० - भोजपत्र, भूजपत्र, भोजपत्तर । भूजिपत्र । म० - भूर्जपत्र । ते० - भेजपत्रमु । अं०Himalayan Silver Birch (हिमालयन् सिलव्हर बर्च) । ले०-Betula utilis (बेटुला यूटिलिस) ।
फल
शाख
उत्पत्ति स्थान - यह हिमालय में ७ हजार फीट से १३ हजार फीट की ऊंचाई पर, काश्मीर से सिक्किम तक और ६ हजार से १४ हजार फीट की ऊंचाई तक भूटान में होता है।
विवरण- यह वटादिवर्ग भोजपत्रकुल का एक छोटी जाति का झाडीनुमा वृक्ष होता है। वृक्ष की छाल को ही भोजपत्र कहते हैं। यह कागज के समान अथवा
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जैन आगम वनस्पति कोश
केले के सूखे पत्ते के समान होता है। पहले जब कागज नहीं बनता था तब भोजपत्र का ही कागज के स्थान पर व्यवहार किया जाता था।
(धन्वन्तरि वनौषधि विशेषांक भाग ५ पृ० ३३६) इसका वृक्ष ४० से ६५ फीट तक ऊंचा होता है। छाल चिकनी, चमकीली सफेद या किंचित् लाली युक्त सफेद, आड़े धब्बेदार, पर्त के पर्त कागज के समान एक साथ सटी रहती है और यह आसानी से पृथक् पृथक् हो जाती है । पत्ते २ से ३ इंच तक लंबे, १.५ इंच चौड़े, लट्वाकार, लम्बाग्र, दन्तुर एवं नये पत्ते पीत, रालीय बिन्दुओं से युक्त होने के कारण चिपचिपे होते हैं। फूल बारीक मंजरियों में आते हैं और फल काष्ठवत् गोल होते हैं। वृक्ष की छाल को ही भोजपत्र कहते हैं। प्राचीन काल में इनका लिखने के काम में प्रयोग किया जाता था । (भाव०नि० वटादिवर्ग पृ० ५३५)
चारुवंस
चारुवंस ( चारुवंश), चारुवांस, वांस की एक जाति ।
भ० २१/१७
विमर्श - प्रज्ञापना १/४१ / २ में इस शब्द के स्थान पर चाववंस शब्द है । चाववंस का अर्थ मिलता है। संभव है चारुवंश भी वांस की एक जाति हो ।
विवरण - वांस की ५५० जातियां हैं। उनमें ११६ जातियां भारत में हैं । उनमें से एक प्रकार चारुवंस हो सकता है।
चाववंस (चापवंश) चाप नामक वांस प ० १ / ४१/२ चाक्ली०पुं । चापस्य वंशविशेषस्य विकारः ।
( शब्दकल्पद्रुम द्वितीयो भागः पृ० ४४२ ) विमर्श - वांस की ५५० जातियां हैं। उनमें ११६ जातियां भारत में हैं। उनमें से एक प्रकार चापवांस है। देखें कंकावंस शब्द ।
चिउर
रा० २८ जीवा० ३/२८१
चिउर (चिकुर) चिउरा चिकुरः । पुं । वृक्षविशेष (शालिग्रामौषधशब्दसागर पृ० ६२)
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