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जैन आगम : वनस्पति कोश
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क०-केदगे। फा०-गुलकेरी। अ०-कादी। अ-Screw Pine (स्क्रपाइन) ले०-Pandanus odoratissimus Roxb (पेन्डेनस् ओडोरेटिसिमस्)।
कोतिय कोतिय (
) सितदर्भ भ० २१/१६ विमर्श-प्रस्तुतकरण में कोंतिय शब्द है। प्रज्ञापना (१/४२/१) में इसके स्थान पर होत्तिय शब्द है। होत्तिय शब्द की व्याख्या आगे है। कोंतिय शब्द के लिए देखें होत्तिय शब्द।
AIVioe
SAMAGRAT
LADHAN
S
कोकणद कोकणद (कोकनद) लाल कमल प० १/४६ कोकनद के पर्यायवाची नाम
रक्तपदमं तु नलिनं, पुष्करं कमलं नलम्। राजीवं स्यात् कोकनदं, शतपत्रं सरोरुहम् ।।१३४।।
नलिन, पुष्कर, कमल, नल, राजीव, कोकनद, शतपत्र तथा सरोरुह ये रक्तपदम के पर्याय हैं।
(धन्व०नि०४/१३४ पृ० २१७)
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उत्पत्ति स्थान भारतीय प्रायःद्वीप के दोनों तरफ समुद्री किनारों तथा अण्डमान में यह पाया जाता है। सभी स्थानों में बागों में लगाया हुआ भी मिलता है।
विवरण-इसका गुल्म या छोटा वृक्ष करीब १० से १२ फीट ऊंचा होता है। काण्ड से वायवीय मूल निकल कर उसे सहारा देते हुए जमीन में घुसे रहते हैं। पत्ते सघन, चमकीले, हरे, तलवार की तरह, इसे ७ फीट लम्बे, पतले तथा किनारों एवं मध्यशिरा पर तीक्ष्ण कांटों से युक्त होते हैं। पुष्प पत्रावृत अवृन्त काण्डज व्यूह में आते हैं। जिनके पत्रकोश सगंधित तथा श्वेतवर्ण के होते हैं। पुंपुष्प एवं स्त्रीपुष्प भिन्न-भिन्न वृक्षों पर होते हैं। पुंपुष्पव्यूह में कई गुच्छ ५ से १०४२.५ से ३.८ से०मी० बड़े रहते हैं किन्तुस्त्रीपुष्प व्यूह में एक ही गुच्छ ५ से०मी० व्यास का रहता है। फल गोल या आयताकार १५ से २५ से०मी० लम्बा चौड़ा पीत या रक्तवर्ण का होता है। वर्षा ऋतु में पुष्प एवं शरद ऋतु में फल आते हैं।
(भाव०नि० पुष्पवर्ग पृ०४६८)
कोट्ट कोट्ठ (कुष्ठ) कूठ
रा० ३० जीवा० ३/२८३ कुष्ठ के पर्यायवाची नाम
कुष्ठं रोगाह्वयं वाप्यं, पारिभव्यं तथोत्पलम् ।।१७२ ।।
कुष्ठ, रोगाह्वय (रोगवाचीनाम) वाप्य, पारिभव्य तथा उत्पल ये सब कूठ के नाम हैं ।(भाव० नि० पृ० ६१) अन्य भाषाओं में नाम
हि०-कूठ, कूट, कुष्ट । बं०-पाचक, कुर। म०-कोष्ठ, उपलेट । गु०-उपलेट, कठ । क०-कोष्ट । ते०-बेंगुलकोष्टम्। प०-कुढ्ढ, कुट, कोठ। फा०-कृष्ठाई तल्ख। अ०-कस्त बेहेरी। काश्मी०-पोस्तरवै, कूठ। भोटिया०-कुष्ट । ता०-कोष्टम्, गोष्टम्। अंo-Costus Root (कोस्टस् रूट) ले०-Saussurea Lappa C.B. Clarke (सॉस्सुरिया लप्पा)।
उत्पत्ति स्थान-इसके क्षुप काश्मीर तथा उसके आसपास के आर्द्र ढालों पर ८००० से १३००० फीट की
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