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लेश्या-कोश कार्य से दो व्यक्ति जुड़े श्रीचन्दजी रामपुरिया और मोहनलालजी बांठिया । आगमों के वर्गीकरण का कार्य बांठियाजी को सौंपा गया। इनके सहयोगी बने श्रीत्तन्दजी चोरड़िया। वर्धमान जीवन कोश, लेश्या कोश, योग कोश आदि सात महत्वपूर्ण कोश सामने आ गये । इस परम्परा को आगे बढ़ाया जाना जरुरी है। केवल स्मृति ग्रन्थ का प्रकाशन ही पर्याप्त नहीं है। यह चिन्तन करना है कि कोश निर्माण की गति मन्द न हो। जो लोग यह काम करते हैं वे शासन की बहुत बड़ी सेवा करते हैं ।
विज्ञप्ति, २ अक्टूबर १६६८ से साभार
विद्वानों के विचार अपने कोशो की कल्पना को मूर्त बनाने का जो संकल्प किया है वह आश्चर्य और आनन्द का विषय है। इतना बड़ा भारी जवाव देही का काम निर्विघ्न पूरा हो__ -प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलालजी संघवी
अहमदाबाद
भगवान महावीर के ज्ञान और उनके द्वारा प्ररूपित चरण-विधि को प्रस्तुत करने वाले उक्त कोश जैन एवं जनेत्तर भारतीय विद्वानों की दृष्टि में मूल्यवान सिद्ध हुए हैं। वे उनकी सीमा के बाहर के विदेशी बिद्वानों की तुला पर भी मूल्यवान सिद्ध हों ऐसे हैं, पर उसके लिए प्रकाशन समिति को विशेष सक्रिय होना पड़ेगा और उन्हें कोशों को विज्ञान और आचरण दोनों क्षेत्रों के विद्वानों तक पहुँचाना होगा।
-श्रीचन्द रामपुरिया
कलकत्ता
सम्पादक श्रीचन्द चोरड़िया इस परिश्रय साध्य कार्य के लिए धन्यवाद के पात्र है। और संकलन करने में उन्होंने अपनी बहु-श्रुतता की पूरा परिचय दिया है-इसमें संदेह नहीं है। इस कोश में अब भगवान महावीर के जीवन के सम्बन्ध से शोध पूर्ण चरित्र लिखने में सामग्री विद्वानों के समक्ष उपस्थित करदी है। अतएव कोई विद्वान् भगवान महावीर के ( सम्बन्ध ) चरित्र को आधुनिक पद्धति से लिखना चाहे तो उसके लिए यह नन्थ मार्ग-दर्शक बन सकेगा।
-दलसुख मालवाणिया
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