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अर्थात् प्रतिक्रमण की इच्छा करता हूँ। (जीव विशेष को ) धूल से ढका हो, रगड़न ( श्लेषित ) किया हो ।
-श्लेष युक्त
__ महावीर और बुद्ध दोनों तथागत थे। तथागत वह है जो तथाता को उपलब्ध है। तथ्य की स्वीकृति का नाम तथाता है।
प्राचीन समय में युगलिये जोड़े से उत्पन्न हुआ करते थे। जब तक वे युवावस्था को प्राप्त नहीं होते थे तब तक उनमें बहन-भाई का सम्बन्ध रहता था। जब युवावस्था होती तब उनमें स्त्री-पुरुष का सम्बन्ध हो जाता था। जिस समय ऋषभदेव स्वामी तथा सुमंगला युवावस्था में प्रवेश कर रहे थे, अचानक एक युगलिये की मृत्यु हो गई तब उसकी बहन का ऋषभदेव स्वामी के साथ विवाह हुआ। जो युगलिया मरा था वह उस स्त्री का पति होकर नहीं मरा था अतः भगवान का विधवा विवाह नहीं हुआ था। जो लोग ऋषभदेव स्वामी पर विधवा विवाह का झूठा लांझन लगाकर अपनी पाप वृत्ति को लोगों में प्रचलित करते हुए भगवान को विधवा विवाह से प्रमाण स्वरूप जगत में प्रगट करते हैं यह उनकी बड़ी भारी मूल है। दूसरे के यहाँ से लड़की लाना उसी वक्त से चला है।
-जैन रत्न भास्कर पृ० २२ चकि उस समय युगलिया धर्म टूट चुका था क्योंकि पहले ही पहले एक दिन ताड़ के वृक्ष के नीचे बैठे हुए बहन-भाई युगलिये के जोड़े में ताड़ वृक्ष के फल टूटने से भाई की मृत्यु हो गई अतः वह कन्या इधर उधर भटकने लगी। कई युगलिये उसको लेकर नाभि कुलकर राजा के पास गये। नाभि राजा ने पूर्ण वृतान्त जानकर कहा यह ऋषभ की धर्मपत्नी होवे। फिर उन्होंने उसको अपने पास रख लिया । उसे स्त्री का नाम सुनन्दा था।
युवावस्था में प्रवेश करने पर, अपने भोगोपभोग कर्मों को अवधिज्ञान से जानकर, सौधर्मेन्द्र की प्रेरणा से बड़ी धूम-धाम से सुमंगला व सुनंदा के साथ भगवान पाणिग्रहण किया और तभी से लोक में विवाह की रीति प्रचलित हुई ।
विवाह के पश्चात् भगवान ने कुछ वर्ष-कम ६ लाख वर्ष तक सुमंगला व सुनंदा से सुखो पभोग किया। सुमंगला ने भरत-ब्राह्मी को एक साथ जन्म दिया और ४६ युग्म पुत्रों को जन्मा । सुनन्दा ने बाहुबली व सुन्दरी के जोड़े को उत्पन्न किया।
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