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लेश्या-कोश
५१९ विश्वकोशों के कार्य से परिचित हैं वे जानते हैं कि इनकी विधि कितनी वैज्ञानिक व विभवयुक्त है। यह पुस्तक इस ओर भी संकेत करती है कि जनत्व के किसी एक विषय पर किसी तरह शोध की जाए। आर० एन० विलियम की जैन योग ( लंदन १६६२ ) नामक पुस्तक जैन योग का अध्ययन करवाती है परन्तु श्रीचन्द चोरडिया की पुस्तक जैन योग का विश्वकोश है एवं अवश्य ही उत्तरोत्तर पूर्वरोक्त से ज्यादा गहन है।
यह योग कोश अच्छी तरह मुद्रित एवं ध्यान से सुदृढ़ बन्धी हुई है। इसमें आलौकिक संग्रह है। अपवाद भूत रूप से कुछ मुद्रण अशुद्धियाँ हैं जिन्हें लेखक ने स्वयं अलग से सूचित किया है। इसमें विस्तार पूर्वक भूमिका करीब ७५ पृष्ठों की बांधी गई है। मैं आशा करता हूँ, भविष्य में हमें उनसे इसी तरह का कार्य प्राप्त होता रहेगा। श्रीचन्द चोरड़िया जनत्व के एक अच्छे विद्वान एवं असाधारण परिश्रमी शोधकर्ता हैं, जनत्व के विषय पर। मैं विश्वास करता हूँ कि यह पुस्तक विश्व के विद्वानों के द्वारा उचित स्वीकृति प्राप्त करेगी।
-सत्यरंजन बनर्जी
लेश्या कोश, क्रिया कोश, योग कोश इन तीनों के सम्पादक हैं-स्व० मोहनलालजी बांठिया तथा श्रीचन्दजी चोरड़िया। सम्पादक द्वय ने लेश्या, क्रिया और योग के बिखरे सन्दर्भो को जैन आगम साहित्य से एकत्रित कर उनके सुसंयोजित रूप से लेश्या कोश, क्रिया कोश व योग कोश के रूप में प्रकाशित क्रिया है । सारा विषय उपबिन्दुओं में विभक्त है तथा हिन्दी भाषा के अनुवाद से अन्वित है। लेश्या कोश सन १९६६ में, क्रिया कोश १९६६ में व योग कोश १९६४ में जैन दर्शन समिति कलकत्ता में प्रकाशित हुए।
-मुनिश्री विमलकुमारजी -तुलसी प्रज्ञा-भाग २३ अंक २
जुलाई-सितम्बर १९६७
योग कोश ग्रन्थ लेखक की अमूल्य कृति है। जैन दर्शन में योग की सूचिका के विषय में इस ग्रन्थ से पूर्ण जानकारी प्रास की जा सकेगी।
-हीरालाल सुराणा
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